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मुंशी इतवारी लाल और 72 दुकड़े

पाठक नामा -
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जैसा कि अक्सर होता है हमारे मित्र मुंशी जी इतवार अर्थात रविवार को ही हमारे पास आते हैं इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ, अभी हम प्रात: नास्ता ही कर रहें थे कि मुंशी जी की आवाज सुनाई दी !!!!!”अरे………!!!!!!! ठाकुर कहाँ हो ”
हम तुरंत ही बाहर आये और मुंशी जी को नमस्ते की तथा कहा——– ” आओ मुंशी जी आप बहुत समय से आये हो लो गरमा-गर्म पकोड़ों का नास्ता करो”
मुंशी जी बोले——- ” हाँ-हाँ…..नास्ता भी करेंगे पहले तुम अपना कागज कलम उठाओ ”
हमने तुरंत ही राईटिंग पैड उठा लिया और बोले ——-“बताओ क्या लिखना है ”
मुंशी जी बोले——- “यार…..!!!!!! लिखने से पहले तुम यह बताओ कि क्या तुम गणित जानते हो ” ?
हम बोले —-“यार यह भी कोई पूछने की बात है, तुम्हे तो पता ही है कि हम गणित में कितने होशियार थे, तथा सबसे अधिक नंबर हमारे ही आते थे क्या तुम भूल गए,” हमने मुंशी जी से उल्टा सवाल ही कर दिया /
मुंशी जी बोले —-“तभी तो मैं तुम्हारे पार आय हूँ, देखो मेरी जानकारी में गणित की तीन सखायें हैं —- एक अंकगणित, दूसरा -बीज गणित,तहत तीसरा -रेखा गणित इसके बाद सभी कुछ इन्ही तीन पर आधारित है ! बोलो ठीक है न ”
हम बोले —–” हाँ-हाँ आप बिलकुल ठीक कह रहें हैं ”
अब तो मुंशी जी अकड़ कर बैठ गए और बोले —–” देखो !!!!!!! संसार का सारा काम काज इस अंकगणित पर ही आधारित है सारा साइंस गणित की गणना पर चलता है वास्तव में हमारे विकास में गणित का बहुत महत्त्व है परन्तु अगर कोई छोटी सी त्रुटी हो जाय तो सारी गणना गलत हो जाती है – इसी प्रकार से बीज गणित भी है जहाँ हम किसी अज्ञात संख्या को कुछ मान कर गणना करते है और अज्ञात संख्या का मान ज्ञात कर लेते हैं. अब रही बात रेखा गणित की तो रेखा गणित में बिना संख्यों के लिखे हम सब कुछ ज्ञात कर लेते हैं जैसे की किसी वर्ग की चारों भुजाएं सामान लम्बाई की होती है वर्ग के अन्दर के चारो कोण सम कोण होते है – किसी वृत्त की परिधि में केंद्र को कटती हुई कोई रेखा बनाई जाय तो वह वृत्त को दो बराबर भागों में बाटती है –इसी प्रकार से अगर दो सामानांतर सीधी रेखाओं को जब तीसरी रेखा कटती है उस पर सामने के सभी कोण बराबर होते है ”
इतना सुनने के बाद मैं बोला की —-” यार मुंशी तुम ये क्या ले बैठे यह तो कक्षा आठ का बच्चा भी जानता है”
फिर मुंशी जी बोले ——–” यही तो मैं भी कह रहा हूँ – अब सुनो इस संसार में स्त्री -पुरुषों के सम्बंध भी इस रेखा गणित की तरह बिलकुल साफ़ -साफ़ होते है — पति-पत्नी के सारे रिश्ते दार भी एक दुसरे की उसी प्रकार से सम्बन्धी होते है स्त्री शादी के बाद पति के सभी रिश्ते दारों की उसी प्रकार से मानती है जैसे उसके अपने माता-पिता को मानती है – दो अलग ध्रुवो की तरह पति-पत्नी साथ रह कर जीवन व्यतीत करते है तथा सृष्टि के नियम का पालन करते हुए संतानोपत्ति करते है ”
मैं बोला —–” भाई मुंशी आज तुम यह दार्शनिकों जैसी बात क्योंकर कर रहें हो , यह तो सभी जानते हैं ”

इस पर मुंशी जी बहुत आवेश में आ गए और बोले —” हाँ !!!!!!!!!! मैं तुमसे यही तो पूंछना चाहता हूँ की तुम्हारे भाई देहरादून निवासी राजेश गुलाठी ने अपनी पत्नी अनुपमा को जान से मार कर उसके 72 टुकड़े क्योंकर किये क्या यह गणित की कोई पहेली है ? अगर कोई पहेली है तो पूंछ कर मुझे भी बताओ ? हाँ अगर वह 84 टुकड़े करता तो मैं यह मान लेता की शायद उसने अपनी पत्नी को सांसारिक भोगों से मुक्ति के लिए 84 लाख योनियों से मुक्ति दिला दी हो ” इतना कह कर मुंशी जी बिना कुछ बोले उठ कर चले गए !
मुंशी जी के यह शब्द सुनकर मैं तो स्तब्ध रह गया कि मुंशी जी इतना गहरा भी सोचते हैं —–तो सज्जनों मुंशी जी के उक्त शब्द कैसे लगे ——निवेदन है कि अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे —- एस.पी.सिंह -मेरठ

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