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अपने वायदे के अनुसार मुंशी इतवारी लाल रविवार यानि इतवार को फिर आ गए और हमसे बोले कि—” चलो शुरू करो अपना काम, लिखो हम जरा जल्दी मै हैं ”
हम भी क्या करते लिखना शुरू किया – मुंशी जी बोले :–
“अभी अरुंधति राय का अनर्गल प्रलाप न तो बंद हुआ और न ही अभी उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही ही हुई थी फिर भी कुछ बुद्धिजीवी उसकी हिमायत में खड़े हो गए यह कैसा विधान है जहाँ हर कोई अपने हिसाब से गणित के सवालों को हल कर रहा है ? एक जाने माने बुद्धिजीवी एवं गीत कार तथा प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री के पति हैं श्री जावेद अख्तर जिन्होंने कहा है की “:-
” मैं कश्मीर पर अरुंधति की टिपण्णी से सहमत नहीं हूँ | लेकिन अगर भारत के एक हिस्से को भारत न कहना देश द्रोह है तो उन लोगों का क्या जो भारतीय मुसलमानों को भारतीय नहीं मानते | क्या ये लोग देश द्रोह के आरोपी नहीं है ?”
“जावेद भाई पहले तो आपको यह बताना चाहिए की कौन व्यक्ति या समूह है जो मुसलमानों को भारतीय नहीं मानता है अगर ऐसा होता तो विगत की बात तो और है अभी बहुत अधिक दिन नहीं बीते है हमारे देश के सर्वोच्च पद पर डाक्टर कलाम राष्ट्रपति थे उससे पहले कितने राष्ट्रपति हुए हैं आप को याद होगा या नहीं ? अभी बहुत दिन नहीं बीते जब मुफ्ती मोहम्मद भारत सरकार में गृहमंत्री थे और उनकी बेटी के अपहरण के बदले खूंखार आतंकवादी छोड़े गए थे | आप अपने फिल्म के क्षेत्र को ही देखो वहाँ क्या हाल है कितने मुस्लमान है फिल्म इंडस्ट्री में हैं क्या वे लोग भारतीय नहीं है हाँ आपकी बात सही हो सकती है अगर इन लोगो को कोई यह कहे की यह लोग भारतीय नहीं हैं ?”
” लेकिन अगर कोई कहे की ‘ अफजल गुरु और अजमल कस्साब भारतीय मुस्लमान हैं’ तो आप ही बताइए की इनको क्या कहा जायगा | और अगर कोई व्यक्ति जिस देश में रहता हो जहाँ पला बढ़ा हो जहाँ अपनी जीविका कमाता हो फिर भी उसका शारीर हिंदुस्तान में और दिल पाकिस्तान में हो तो आप उसे क्या कहेंगे ? उसे भारतीय तो अलग, कोई भी उसे मुस्लमान भी मानाने को तैयार नहीं होगा? यह तो आप भी जानते होगे की मुसलमान का मतलब ही यह है की जो अपने ‘ईमान’ पर कायम हो अगर कोई मुसलमान अपने ईमान पर कायम है तो उसे इंसान तो क्या स्वयं खुदा भी देश द्रोही नहीं कह सकता ? पर हद उस समय हो जाती है जब हिन्दुस्तन में अगर कोई क्रिकेट मैच पाकिस्तान की टीम जीतती है तो मुस्लिम क्षेत्र में मिठाइयाँ बाटी जाती है पाकिस्तानी झंडा फहराया जाता है उसे आप क्या कहेंगे और किस श्रेणी में रखेंगे ; जावेद भाई ?”
थोडा रुक कर मुंशी जी फिर बोले —
“लेकिन कोई भी मुस्लिम नेता या धर्मगुरु यह नहीं सोचता की वह अपनी दुर्दशा के लिए स्वयं ही जिम्मेवार हैं ? कारण पूरे संसार में जनसँख्या एक दानव के रूप विकराल होती जा रही है और अनाज की कमी एवं आधुनिक मशीनों के कारण रोजगार की कमी के बावजूद आज भी – मुस्लिम समाज में एक से अधिक विवाह, तुरत तलाक, अशिक्षा, बीमारी से लड़ने के स्थान पर मजहब की लड़ाई लड़ना ही सर्वोपरि है ? और राजनितिक पार्टियाँ (कोई भी पार्टी) मुसलमानों की अपनी सोंच के कारण वोट बैंक से अधिक कुछ नहीं समझती हैं?”
“वैसे भी अगर हम आजादी से पहले के इतिहास को देखें तो यह बात भी समझ में आती है बावजूद इसके कि आजादी कि लड़ाई सभी भारतियों ने मिल कर लड़ी थी; परन्तु द्वि राष्ट्र की भावना सबसे पहले मुसलमानों के रहनुमा जिन्ना के दिमाग की उपजी थी जिसने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की और उसकी परिणिति यह हुई की देश दो नहीं पाँच भागों में बंट गया भारत, पाकिस्तान ( पूर्वी, व पश्चिम ), बरमा (अब का म्यांमार ) सीलोन ( अब का श्रीलंका )यही सच है कि भारत और पाकिस्तान का विभाजन केवल धार्मिक आधार पर ही हुआ था अगर ऐसा न होता तो उस समय कि जनसँख्या के आधार पर बंगाल का विभाजन न होता यही इतिहास का सच भी है जिसको कोई नकार नहीं सकता | उस विभाजन कि त्रासदी दोनों ही कौमों ने सामान रूप से झेली है, अब या तो यह उस समय के नेताओं की नासमझी थी या महत्मा गाँधी का आकलन ही गलत था की ‘की बंटवारे के बाद भी जो मुसलमान भारत में रहना चाहता है वह रह सकता है’ मुसलमानों की देशभक्ति पर कोई भी शक नहीं कर सकता क्योंकि जिन लोगों ने भारत में रहना स्वीकार किया वे वास्तव में किसी भी हिंन्दु से अधिक हिन्दुस्तनी हैं | पर महत्मा गाँधी को इस गलती के लिए अपनी क़ुरबानी देनी पड़ी थी यह भी एक सच है |
” इस लिए सभी को चाहिए कि देश की भलाई के काम करे देश द्रोह या देश भक्ति को अख़बारों या टी.वी की खबर न बनाये इसी में सब का भला है; कश्मीर की समस्या के लिए नियुक्त वार्ताकारों से भी एक अनुरोध यह है की वह समस्या का समाधान खोजे न की समस्या को बढ़ाएं पाकिस्तान को वार्ता में शामिल किस हैसियत से करने की जरुरत है अगर उसे एक हमलावर के रूप में शामिल करना है तो उसका भी स्वागत होना चाहिए अन्यथा नये विवाद पैदा नहीं करने चाहिए ” इतना बोलने के बाद मुंशी जी बोले —–
‘चलो बेटा इसे अपने कम्पूटर पर चिपका दो ‘—— और यह कहते हुए ” सब अपना अपना गणित बैठते हैं ” चल, दिए हम बुलाते ही रह गए |
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