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” विचार क्रांति का क्षय “

पाठक नामा -
पाठक नामा -
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यूं तो ऐसा कहा गया है की किसी भी क्रांतिकारी का सक्रिय जीवन केवल ३५-४० वर्ष का ही होता है पर काल के क्रूर हाथों ने विचार क्रांति के शसक्त पुरोधा श्री राजीव दीक्षित को असमय ही हमसे छीन लिया यह प्रकृति का कैसा क्रूर मजाक है —– इतनी छोटी सी आयु में राजीव दीक्षित ने जो विचारों की जो गंगा बहाई ऐसी शक्ति बहुत कम लोगो में होती है| मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत विरोधी कुस्तिस कर्मों के विषय में स्व० राजीव की ही विचार शक्ति थी जिसने श्रधेय बाबा राम देव को आंदोलित किया था और उन्होंने ने पेप्सी , कोका कोला आदी पेय पदार्थो से भारतीय जानता को विरक्त किया| जैसा की विदित है स्व० राजीव भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के सचिव थे और जन जागरण के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए निरंतर यात्रायें करते रहते थे तो ट्रस्ट द्वारा उनके स्वस्थय की देख भाल के लिए समुचित व्यस्था क्योंकर नहीं की गई यह एक अजीब बात है
मैं पिछले कई महीने से देख रहा था कि राजीव भाई भारत स्वाभिमान आंदोलन के लिये लगातार यात्राएं कर रहे थे । एक दिन में दो-दो, तीन-तीन जिले कवर करना और वहां सभाएं करना और फिर आगे चल देना । विदेशी दुश्मन भी तमाम थे । भारत की सत्ता को पूर्णतः स्वदेशी बनाने के संकल्प के पुनीत कार्य में उन्होंने अपना शरीर इस महायज्ञ में होम कर दिया ।
श्री के.एम् मिश्र के द्वारा :–
.उनकी मृत्यु चाहे जैसे हुयी हो लेकिन उन्होंने अपने 20 साल के आजादी बचाओ आंदोलन के जरिये नवराष्ट्रनिर्माण के विचारों के बीज करोड़ों भारतीयों में बो दिये हैं । वो बीज बेकार नहीं जायेंगे । स्वदेशी के जरिये महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से आजादी छीनी थी । स्वदेशी की मशाल हाथ में लेकर करोड़ों भारतीय अंग्रेजों की चली आ रही इस व्यवस्था को भी बदल डालेंगे । देश राजीव भाई की कुर्बानी को सदैव याद रखेगा । कैसा संयोग है उनका इस दुनिया में आना और जाना एक ही दिन हुआ । 30 नवंबर 1967 को वे दुनिया में आये और 30 नवंबर 2010 को वे इस दुनिया से चले गये ।
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स्वामी रामदेव ने कहा है कि ऐसी राष्ट्रभक्त आत्माएं जब तक अपना काम पूरा नहीं कर लेती बार बार धरती पर आती हैं । स्वामी रामदेव जी ने 30 नवंबर को स्वदेशी दिवस घोषित किया है । हम पूरे साल स्वदेशी दिवस मानायेंगे और जीरो टेकनीक वाली किसी विदेशी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करेंगे ।
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परमपिता परमेश्वर राजीव भाई की आत्मा को अपनी गोद में जगह दे और राजीव भाई के विचारों और संकल्प की ज्योति हर भारतीय के दिल में सदा जलती रहे । जय भारत ।
आर. एन. शाही के द्वारा
December 2, 2010, स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी जैसे इतिहासवेत्ता विद्वान एवं प्रखर वक्ता के आकस्मिक निधन से वास्तव में देश को अपूरणीय क्षति हुई है । वैसे तो किसी भी प्रसिद्ध हस्ती के निधन पर औपचारिक रूप से उसे देश की अपूरणीय क्षति ही बताया जाता रहा है, परन्तु जिन्होंने भी स्व. दीक्षित जी को टीवी पर भी देखा सुना है, वह सहज ही अंदाज़ लगा सकता है कि वास्तविक अपूरणीय क्षति होती क्या है । ऐतिहासिक तथ्य और आंकड़ों के आधार पर विदेशियों द्वारा भारत की लूट, आज की भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था द्वारा वर्तमान समय में भी पुराने ढर्रे पर ही जारी लूट, तथा स्वदेशी की महत्ता पर धाराप्रवाह मंत्रमुग्ध कर देने वाली दिव्य शैली में उनकी वक्तृत्व कला एक दुर्लभ विधा है, जिसकी भरपाई की जा सकती है, यह असंभव जैसा ही दिख रहा है । मुझे भी श्रद्धेय वाजपेयी जी द्वारा व्यक्त की गई शंका से इत्तेफ़ाक़ है । बिना किसी प्रारम्भिक लक्षण के एकाएक हुआ हृदयाघात और शरीर नीला पड़ने के कारणों की पड़ताल कर उसे सार्वजनिक किया जाना अत्यंत आवश्यक है । जो भी हो, बाबा रामदेव के अभियान भारत स्वाभिमान को दीक्षित जी की मृत्यु से एक गहरा आघात लगा है, और सच कहा जाय, तो वास्तविक क्षति इस अभियान की ही हुई है । फ़िर भी मृत्यु की रात के बाद की अहले सुबह फ़िरोजाबाद में बाबा रामदेव ने अपने योग शिविर में जिस साहस के साथ इस घटना के बावज़ूद उपस्थित जनसमुदाय को योग प्रशिक्षण देने में अपनी स्वाभाविकता नहीं खोई, वह किसी परम योगी के लिये ही संभव है । साधुवाद ।
sdvajpayee के द्वारा
December 2, 2010
प्रिय भाई शाही जी, मैं अपने मन की इस अभिब्‍यक्ति के लिए क्षमा चाहूंगा। राजीव दीक्षित के असमायिक निधन के अगली सुबह राम देव जी ने फिरोजा बाद में अपना कार्यक्रम दिया। आप मानते हैं ऐसा परम योगी के लिए ही संभव है। भाई अगर परम योगी होने का यह यह मानक है तो हमारे देश के मौजूदा राजनीतिक नेताओं में न जाने कितने नाम-चेहरे मिल जाएंगे जो एक से एक बडी हृदय विदारक घटनाओं में के प्रति ऐसा वीतरागी निरपेक्ष भाव-व्‍यवहार रखते हैं। राजीव दीक्षित समर्पित कार्यकर्ता थे। उनकी संदिग्‍ध्‍ा स्‍िथितियों में हुई मृत्‍यु के वास्‍तविक कारणों का पता लगा कर और देश को बता कर राम देव अपनी तरफ उंगली उठने का मौका देने से बच जाएंगे। देश को राजीव के मृत्‍यु के वास्‍तविक कारणों को जानने का हक है और इस पर अग्रणी भूमिका निभा कर रामदेव लोगों में अपना विश्‍वास ही बढायेंगे।
आर.एन. शाही के द्वारा
December 2, 2010
आदरणीय वाजपेयी साहब, प्रणाम । आपका कहना सही है । यदि मृत्यु किंचित मात्र भी संदिग्ध लगती है, तो इसकी जांच के उपक्रमों में सबसे अधिक प्रयास बाबा रामदेव का ही दिखना चाहिये । परन्तु बाबा की तरफ़ यदि किसी प्रकार की उंगली इस संदर्भ में उठती है, तो उसके कारणों को समझ पाना कठिन होगा । क्योंकि श्री दीक्षित जी की मृत्यु से सबसे अधिक क्षति यदि किसी की हुई है, तो वो बाबा रामदेव और उनके आंदोलन की हुई है । बहुत गहरे निहितार्थ यदि कोई हों, तो इसका पता तो किसी जांच एजेंसी की जांच के बाद ही लग सकता है, परन्तु जो आम जनमानस आजतक देखता आया है, वह यही है कि श्री दीक्षित रामदेव जी के आंदोलन की आवाज़ थे । श्री दीक्षित के बाद यदि भारत स्वाभिमान को आवाज़ प्रदान करने की शक्ति किसी के पास है, तो वो फ़िलहाल मात्र बाबा रामदेव ही हैं, और कोई नहीं है । अर्थात बाबा रामदेव यदि अपने आंदोलन की आत्मा हैं, तो श्री दीक्षित वर्तमान समय में उस आत्मा को धारण करने वाले शरीर की भूमिका में थे । आचार्य बालकृष्ण अथवा किसी भी अन्य विद्वान के पास मेधा हो सकती है, परन्तु मेधा को जिस प्रभावोत्पादक अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है, वह श्री दीक्षित के बाद शून्य की स्थिति में आ गई है । जहां तक संपत्ति को पतंजलि योगपीठ में दान करने की बात है, तो टीवी के सीधे प्रसारण में संपत्ति के कागज़ात काफ़ी पूर्व ही श्री दीक्षित द्वारा मंच पर रामदेव जी को औपचारिक रूप से समर्पित करते हुए दिखाया जा चुका है । अर्थात जिस संपत्ति का विधिवत हस्तांतरण काफ़ी पूर्व ही हो चुका हो, वह सम्पत्ति किसी षड्यंत्र का कारण बन सकती है, यह समझ में न आने वाली बात है । वैसे भी बाबा रामदेव के ट्रस्ट को देश-विदेश के हज़ारों व्यक्तियों-संस्थाओं से अकूत संपत्ति हमेशा ही प्राप्त होती रही है, और यह सिलसिला चलता ही रहता है । श्री दीक्षित की संपत्ति इस लिहाज़ से नगण्य ही है । बाबा रामदेव या उनके ट्रस्ट और आंदोलन के लिये श्री दीक्षित का जीवन जितना कीमती रहा है, उनकी मृत्यु उस कीमत का स्थान किसी भी स्थिति में नहीं ले सकती । यदि मौत वास्तव में संदिग्ध कही जा सकती है, तो उंगली बाबा रामदेव पर नहीं, बल्कि उनके आंदोलन से जिन तत्वों की संभावित क्षति दिख रही है, उन तत्वों की ओर ही उठाई
ja सकती है । साधुवाद
sdvajpayee के द्वारा
December 2, 2010
प्रिय श्री शाही जी / मिश्र जी, मेरा मानना है कि राजीव जी की मृत्‍यु पर दूध का दूध और पानी का पानी होना तमाम शंकाओं को दूर करने के लिए आवश्‍यक है। पातंजलि योग पीइ से जुडे और अंत्‍येष्टि में हरिद्वार गये कुछ लोगों ने बातचीत में मुझ से राजीव जी की मृत्‍यु के पीछे कोई साजिश होने की शंका ब्‍यक्‍त की है ।
जैसा कि अब लोगो के विचारों से विदित हो रहा है कि असमय रहस्यमय घटनाक्रम से हुए निधन के पीछे कोई साजिश तो नहीं है अत: यह तो एक विस्तृत जांच का विषय हो गया है इस पर शासन को संज्ञान लेना चाहिए | नहीं तो श्रधेय बाबा राम देव को स्वयं ही सरकार से जांच करवाने के लिए आग्रह कहना चाहिए —- एस.पी.सिंह,मेरठ,

sohan.p.singh@gmail.com

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