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किस्सा गोया यूँ है की एक शहर में डेढ़ वर्ष पूर्व एक नवाब साहेब जिनका नाम “प्रधान सेवक ” है ने एक किराये के फ्लैट में पांच वर्ष के करार पर रहने के लिए आये थे नवाब और उनकी बेगम जिनका नाम है “सरकार बेगम ” उनके बड़े अजीब नखरे थे ? अब चूँकि नवाब हैं तो उनके नौकर भी पचासियों हैं जो चौबीस घंटे सेवा में हाजिर रहते हैं ! सुरक्षा कर्मी अलग से सुरक्षा में तैनात रहते हैं ! नवाब साहेब तो अक्सर विदेशी दौरों पर ही रहतेहैं ! दुनिया भर में घूम घूम कर दोस्त बनाने और उनसे दोस्ती कायम करने में बहुत ही बेजोड़ महारत हासिल की हुई है ! और उन दोस्तों को कीमती तोहफे भेट करना उनकी शौक में शामिल है !
हुआ यूँ की यहा बेगम अकेली किसी परित्यक्ता के सामान दिन गुजार रही हैं एक दिन किसी नौकरानी ने उनका बुरखा धोकर सुखाने के लिए धूप में फैलाया लेकिन सूखने के बाद जब उसे उठाने के लिए नौकरानी गई तो बुरखे का नकाब नहीं था , नौकर नौकरानी परेशान होकर एक दूसरे से गुप् चुप बता रहे थे लेकिन नकाब नहीं मिला परेशानी का कारण यह था कि बेगम साहिबा का बुरखा बेशकीमती था सोने के तारों की कारीगरी का ! इस लिए नकाब मिलना भी जरूरी था क्योंकि दो दिन बाद बेगम साहिबा को कहीं जाना था ! इसलिए बहुत खोजबीन के बाद इतना पता चला की नकाब सबसे निचे फ्लैट में रहने वाली इटली की किसी महिला के आँगन में गिर गया था ? अब उस इटली वाली महिला का कहना है कि जिस किसी की भी यह नकाब है वह स्वयं आये और पहचान बता कर ले जाये ? अब हमारे नवाबी कायदे कानून में नवाब किसी के आगे झुकना तो दूर की बात हैं ऊपर से निचे उतरने में भी तौहीन समझते हैं ? अब अकेली सरकार बेगम करे तो क्या करे चूँकि नवाब साहेब तो विदेशी दौरे पर हैं ? परेशानी यह है की दो दिन बाद सरकार बेगम को शादी में जाना है नया नकाब बन नहीं सकता । मजबूर होकर सरकार बेगम को अपनी लज्जा ढकने के लिए अपने कोठे यानि फ्लैट से उतारना ही पड़ा और पडोसी इटालियन महिला के लड़के को ही पकड़ लिया और कहा की अपनी मम्मी से मेरा नकाब दिलवा दो ? लड़का भी बहुत खिलंदड़ है उसने भी कोई आस्वासन नहीं दिया और कह दिया कि माँ की बात माँ जाने ? क्योंकि नवाब साहब की चड्ढी तो पहले ही खो चुकी है जब किसान के खेतों सुखाने के लिए डाली गई थी ? उसे तो किसानो ने गायब ही कर दिया था? सारे नौकर चाकर परेशांन है कि किस प्रकार से अब सरकार बेगम की नकाब को बचाया जाय ?
अब सवाल जो बहुत बड़ा है की कोठे पर रहने वाली सरकार बेगम जो छज्जे यानी बालकनी पर भी आना पसंद नहीं करती थी अब जीने यानि सीढ़ियों से उतर कर निचे आ ही गई है तो देर सवेर अपने अपने करीने पर भी आ ही जाएँगी ! क्योंकि अभी अनुबन्ध के हिसाब से नवाब साहेब को साढ़े तीन वर्ष और उस फ्लैट में गुजरने जो है इसलिए करीने पर तो आना ही पड़ेगा ? यानि कहावत जो है वह पूरी होकर ही रहेगी , “कोठे पर रहने वाली छज्जे पर आई फिर छज्जे से जीने पर आई और फिर जीने से अपने करीने पर आई यानि औकात पर आई ? ”
लेकिन हमारी इस कहानी को कोई वर्तमान सरकार से जोड़ने की हिम्मत न करे और कहे की जेटली जी अपनी बिटिया की शादी का निमंत्रण राहुल गांधी को इस लिए देने गए थे की राज्य सभा में GST बिल पास करा लिया जाय राहुल भैया उपाध्यक्ष जरूर है परंतु चलती अभी भी अध्यक्ष की है ? इस लिए हम तो यह बिलकुल नहीं कह सकते की ” सरकार बेगम ” की तरह वास्तविक सरकार भी राज्य सभा में अपनी इज्जत बचने की लिए अपने विपक्षी से कोई समझौता करे ? यह तो इस बात पर निर्भर करता है की सरकार को अपनी नाक किस प्रकार बचानी है इटली वाली महिला से नकाब लेकर या फिर नकाब नहीं लेकर नहीं बचानी है ।
एस पी सिंह मेरठ ।
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