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स्मार्ट सिटी * “मेरठ”*

पाठक नामा -
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आज कल मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट “स्मार्ट सिटी” देश 7भर के समाचार पत्रो की आये दिन की सुर्ख़ियों में छाये रहते हैं ! उत्तरप्रदेश का एक शहर जो 1857 की। सशस्त्र क्रांति का जनक मेरठ भी स्मार्ट सिटी की दौड़ में कभी दो कदम आगे होता है कभी दो कदम पीछे । परंतु बहुत ही आश्चर्य की बात है की सक्षम अधिकारीयों को सब कुछ पता है की मेरठ शहर कभी भी स्मार्ट सिटी नहीं बन सकता ? लेकिन फिर भी जनता की गुमराह करने के लिए भ्रम फैलाते रहते हैं ? उसके कारण अनेको है ?

सबसे बड़ा कारण है मेरठ की भौगोलिक स्थिति
पुराना मेरठ शहर एक चार दिवारी में घिरा हुआ था जिसके गेट थे जिनके नाम आज भी प्रचलित है ! दिल्ली गेट, बुढ़ाना गेट, कम्बोह गेट, (घंटा घर) लिसाड़ी गेट, शाहपीर गेट ! लेकिन स्वतंत्रता के बाद जब सभी शहरों का विकास हुआ तो मेरठ कब पीछे रहने वाला था ! मेरठ का भी विकास हुआ था? लेकिन वह विकास न तो भविष्य की किसी योजना को ध्यान में रखा गया और न ही किसी भारतीय मानक के अनुसार है ? अब चूँकि। संभावित शहरी। करण का क्षेत्र मेराठ जिले से टूट कर अलग बागपत जिला अलग से बन गया है तो रही सही संभावना भी समाप्त हो गई है ?

दूसरा सबसे। बड़ा कारण है छावनी क्षेत्र
मेरठ का छावनी क्षेत्र है लगभग 35.68 वर्ग किलो मीटर जबकि। शाहरी क्षेत्र है 141.84 वर्ग किलोमीटर । और यही छावनी मेरठ की। प्रगति में बाधक है ? क्योंकि 68 वर्ष की आजादी के बाद भी छावनी क्षेत्र में अभी तक सीवरेज की व्यवस्था का निर्माण नहीं होसका है कारण है छावनी की सुरक्षा व्यवस्था यहाँ लाखों फौजियों के आवास है और अभी लगभग एक लाख फौजियों के आवास और निर्माणाधीन है ! क्योंकि यह छावनी क्षेत्र शहर के ठीक बीच में स्तिथ। है ! सुरक्षा के नाम पर यहां के फौजी ऑफिसर आसपास के गाँवो से शहर में काम करने। आने वाले। काम गारो को अपने छावनी क्षेत्र से नहीं निकलने देते ? इतना ही नहीं जिस प्रकार से अंग्रेजों ने माल रोड यानि गांधी रोड को कुत्तो और इंडियंस के लिए प्रतिबंधित किया हुआ था उसी प्रकार पुरे माल रोड पर फौजी अधिकारीयों की कोठियां होने के कारण सामान्य जनता के लिए आज भी प्रतिबंधित है ! और सुबह साम तो पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाता है ?

यातायात
शहर में केवल दो बस अड्डे है एक छावनी क्षेत्र में भैंसाली बस अड्डा और दूसरा शाहपीर गेट (गढ़ अड्डा ) यहाँ इन अड्डों पर वरिष्ठ अधिकारी तैनात हैं लेकिन इन बस अड्डों का रख रखाव किसी कसबे के बस अड्डों के सामान है ? जबकि मेरठ में कई पडोसी प्रदेशों की बसें आती है ! हरियाणा। राजस्थान। उत्तराखंड ।दिल्ली। लेकिन बस अड्डों का रख रखाव अन्तर्राजीय स्तर का नहीं है ? इसके अतिरिक्त चार प्राइवेट बसों के अड्डे हैं जिनका स्तर किसी कसबे के अड्डा जैसा है जन सुविधाओं का आभाव ? 6 रेलवे स्टेशन है मेरठ केंट, मेरठ शहर, दौराला, सकौती, पावली ख़ास, परतापुर, मोहिउद्दीनपुर लेकिन सुविधाएँ और रख रखाव की बात ही छोड़ दो टिकट विंडो पर सारा दिन अफरातफरी मची रहती है ! और फिर बारी आतीहै रिजर्वेशन की जहां से मनचाहा रिजर्वेशन कभी नहीं मिल सकता ? सबसे बड़ी बात तो यह है की मेरठ से लखनऊ इलाहाबाद के लिए तीन ट्रेन है संगम और नौचन्दी कभी भी समय से नहीं चलती ? एक सुपरफास्ट ट्रेन राज्य रानी जो रात में चलती है जिसका फायदा जनता को नहीं मिलता ? और तो और आज आजादी के 68 वर्ष बाद भी मेरठ से सहारनपुर तक सिंगल लाइन है विद्दुतिकरण 10 वर्ष पहले हो चूका है लेकिन उसका उप्योगनहि हो रहा है ? मेरठ से दिल्ली की दूरी 72 किलोमीटर है लेकिन रेल का सफ़र 2.5 से 3.5 घंटों में पूरा होता है ?

जान सुविधाओं की कमी !
कहने कोमेरठ में नगर निगम है जिसकी कार्य के प्रति सक्रियता भी देखि जा सकती है काम करने का ढिढोरा खूब पिटा जाता है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं । नाले प्लास्टिक के कचरे से पते पड़े है सफाई के नाम पर केवल खाना पूर्ति की जाती है ! नगर निगम राजनीती का अखाड़ा जो बना प्रदेश की सरकार समाजवादियों की है नगर निगम में बी जे पी का कब्ज़ा है कोई किसी की नहीं सुनता सब लोग अवैध कमाई में लगे हुए है ! विज्ञापन की आमदनी किसकी जेब में जाती कुछ पता नहीं ?

उद्द्योग धंधे
यूँ तो मेरठ एक।औद्योगिक नागरी है कैंची उद्योग दुनिया भर में मसहूर है ! हैंडलूम का बड़ा उत्पादन होता है खेल के सामान का बहुत बड़ा हब है !? खेल के सामान की खपत ओलिम्पिक तक में होती है विश्वस्तरीय श्रेणी का स्पोर्ट्स सामान मेरठ में बनता ? अरब देशो को मीट (मांस)का निर्यात बड़े पैमाने पर होता है ? इसके साथ ही मेरठ नकली सामान बनाने और बेचने का बड़ा अड्डा है जहां हजारों करोड रूपये का कारोबार होता है ? जिसमे तेल घी साबुन डिटर्जेंट मशाले चाय पत्ती गुटका पैन मशाला सम्मलित है ।।

मेडिकल हब ! शिक्षा का बड़ा केंद्र

मेडिकल सुविधासए का बड़ा केंद्र होने साथ ही मेडिकल कालेज भी ? लेकिन स्तरहीन और लूटने वाली पृवृत्ति के कारण बदनाम भी बहुत है? इसी प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में मेरठ अग्रणी है लगभग 200 बी एड कालेज है और सैंकड़ो इंजीनियरिंग कालेज हैं ! लेकिन यह सब कालेज किसी लाला की दूकान केसामान चलाये जाते है ? जहां न तो फैकल्टी है और अगर है तो उन्हें मान्य वेतन नहीं दिया जाता ? यानि सबकुछ अस्थाई ?

यातायात व्यस्था
याता यात के विषय में मेरठ के विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता NH 58 यानी GT रोड मेरठ की लाइफ लाइन है दिल्ली से लेकर माना कैम्प बद्रीनाथ तक लेकिन। यही रोड दिल्ली देहरादून के लोगो का सबसे सुगम रास्ता है परंतु मेरठ परतापुर से जिला मुज़फ्फरनगर तक टोल रोड होने के बावजूद इसकी दसा किसी राज्य स्तरीय रोड जैसी भी नहीं है ? बेतरतीब कट होने के कारण प्रतिदिन दुर्घटनाये होतो हैऔर हर वर्ष हजारों लोग अपनी जान गवांते है ? और तो और लगभग प्रतिदिन लूट की घटनाये भी सामान्य बात है ?

कानून व्यवस्था
यूँ तो आई जी स्तर के अधिकारी और रीजनल आयुक्त का हेडक्वाटर होने के नाते। कानून व्यवस्था चाक चौबंद होनी चाहिए उस स्तर की नहीं है ? इसीलिए स्मार्ट सिटी बनने के लिए मेरठ के लिए कानून व्यवस्था का। लचर होना एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य ही है जिसके कारण बहुत ही छोटी छोटी घटनाओं और दुर्घटनाओं से भी साम्प्रदायिक सौहार्द हमेसा किसी ज्वाला मुखी के मुहाने पर होता है ?

एक और बड़ा कारण है छावनी क्षेत्र चूँकि छावनी क्षेत्र को उसकी भौगोलिक स्थिति के कारण से अलग नहीं किया जा सकता इस लिए मेरठ। विकास की गति नहीं मिल सकती चूँकि छावनी में किसी विकाश के कार्य को करने के लिए सेना की अनुमति जरूरी है और सेना से अनुमति लेना लोहे के चने चबाना है ! इस लिये हम तो समझते है की मेरस्थ स्मार्ट सिटी कभी नहीं बन सकता ?
एस पी सिंह मेरठ

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