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इतिहास चीख कर कहेगा 2014 से सबक लो

yuva lekhak(AGE-16 SAAL)
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जब-जब दुनिया के किसी देश में चुनाव
की बारी आएगी, जनता कहेगी कि 2014 में
हिन्दुस्तान में जिस तरह नरेंद्र मोदी के दस्तक ने
धमक दिखाई थी, वैसा चेहरा चाहिए। जब-जब एक
नेता के संस्कार के मापदंड पर पूछा जाएगा, जनता कहेगी,
2014 में नरेंद्र मोदी ने जिस तरह संसद की सीढ़ी पर चढ़ते वक्त झुककर शाष्टांग किया था, एक नेता में
वैसा संस्कार चाहिए। जब-जब एक नेता की विदेश
नीति पर बात होगी, जनता कहेगी- नरेंद्र मोदी ने
जिस तरह अपने शपथ-ग्रहण में ही अपने देश
हिन्दुस्तान के सबसे कट्टर विरोधी मुल्क पाकिस्तान
के वज़ीरे-आलम को शामिल होने का आमंत्रण दिया था, साथ ही जिसकी धमक ने अमेरिका तक
को चमचागिरी जैसे बयान देने पर मजबूर कर दिया था,
और चीन को भी लाचार कर दिया था, वैसा दिलेर
नेतृत्व चाहिए। जब-जब एक नेता की कार्यकुशलता और
दक्षता पर पूछा जाएगा, जनता कहेगी- ऐसा नेता लाओ
जो नरेंद्र मोदी की तरह हो, शपथ भी न लिया हो और देश में विभागों की नीतियां बननी शुरू हो गई हों,
योजनाओं की रूपरेखा का मैप सामने स्क्रैचेज
हो चुका हो। जब-जब कुशल नेतृत्व के आर्थिक पैमाने
की बात होगी, जनता कहेगी- ऐसा नेता हो जिसके
पदार्पण से ही बाजार उछाल भर देता हो, मध्यम
या निम्न वर्ग के लिए सोना जैसे महंगे गहनों की कीमत कम हो जाती हो। बाज़ार में पैसा लगाने
के लिए निवेशक तैयार हो जाते हों। नरेंद्र मोदी एक।
इतिहास अनेक। इसका गवाह वर्ष 2014। हम आपको ज़रा फ्लैशबैक में लिए चलते हैं और बताते हैं
कि मार्च के तीसरे हफ्ते के करीब क्या था बाज़ार
का हाल। 20 मार्च को जैसे ही अमेरिकी फेडरल
रिजर्व ने संकेत दिया था कि वह 2015 के मध्य तक
ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। इससे सेंसेक्स और
निफ्टी दोनों टूटकर दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गए। पिछले तीन सत्रों में 58.25 अंक की बढ़त दर्ज
करने वाला बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स
92.77 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट से
21,740.09 अंक पर आ गया। यह 6 मार्च के बाद सेंसेक्स
का सबसे निचला स्तर था। उस दिन सेंसेक्स
21,513.87 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 21,704.66 से 21,853.25 अंक के दायरे में रहा।
इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 40.95
अंक या 0.63 प्रतिशत के नुकसान से 6,483.10 अंक पर
बंद हुआ। यह 6 मार्च के बाद निफ्टी का निचला स्तर
था। उस दिन यह 6,401.15 अंक पर बंद हुआ था। बाजार
में कुल 1,534 शेयर नुकसान तथा 1,269 लाभ के साथ बंद हुए। 137 शेयर पूर्वस्तर पर टिके रहे थे। लेकिन ठीक
इसके उलट आज का हाल है- सोने की कीमत 800 रुपए
गिरकर 28,550 रुपए तक पहुंच चुकी है। वहीं, मोदी की धमक से ठीक दो महीने बाद
देशी विदेशी निवेशकों की जोरदार लिवाली से बंबई
शेयर बाजार का सेंसेक्स जहां कारोबार के दौरान 25,000
के आंकड़े से ऊपर निकल गया, वहीं 16 मई को नेशनल
स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 7,500 के आंकड़े को पार
कर गया। विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 11 माह के उच्चस्तर पर पहुंच गया।
लोकसभा चुनाव परिणाम में मतगणना शुरू होने के घंटेभर
बाद एक ओर मतगणना हो रही थी, तो वहीं दूसरी ओर
अबकी बार मोदी सरकार की सुनिश्चितता ने बाज़ार
को शीर्ष तक पहुंचा दिया। शेयर बाजार में कारोबार शुरू
हुआ, ताबड़तोड़ लिवाली से सूचकांक 1,470 अंक उछलकर 25,375.63 अंक की अब तक की रिकॉर्ड
ऊंचाई पर पहुंच गया। हालांकि, बाद में कुछ
मुनाफा वसूली होने पर बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स
216.14 अंक यानी 0.90 अंक ऊंचा रहकर 24,121.74
अंक पर बंद हुआ। बाजार का यह भी नया रिकॉर्ड बंद
स्तर था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला निफ्टी सूचकांक कारोबार की शुरुआत में एक
समय 440.35 अंक बढ़कर 7,563.50 अंक
की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया, लेकिन
मुनाफा वसूली चलने से कारोबार की समाप्ति पर 7,203
अंक पर बंद हुआ। पिछले दिन के मुकाबले 79.85
यानी 1.12 प्रतिशत की बढ़त इसमें रही। शेयर बाजार की इस बढ़त से निवेशकों की शेयर पूंजी एक लाख
करोड़ रुपए बढ़कर 80.64 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
एनएसई में रिकॉर्ड 1.18 करोड़ सौदे हुए। इसके साथ
ही एनएसई में वायदा एवं विकल्प वर्ग में भी सबसे
अधिक 52.41 लाख सौदे किये गए।
इक्विटी वायदा कारोबार में रिकॉर्ड 4.37 करोड़ रुपए के सौदे हुए। वर्ष 2014 ने ऐतिहासिक किस्सों को उकेर कर रख
दिया। 2014, मानो एक विकल्प खोजता हुआ साल
लेकर आया। केजरीवाल सरीखे नेता को इसी वर्ष ने
दिल्ली की गद्दी थमा दी। लेकिन जैसे ही 2014 ने
देखा कि केजरी सत्ता के भूखे हैं, गुजरात के शेर नरेंद्र
मोदी को प्रधानमंत्री का ताज लाकर रख दिया। 2014 ने यह भी बता दिया कि हम इस वर्ष इंसाफ करने आए
हैं, हम किसी को बना सकते हैं तो मिटा भी सकते हैं।
केजरी बाबू अब चाहे करोड़ों की संपत्ति दिखाकर दस
हज़ार रुपए कोर्ट में न देकर जेल में बंद होने
जैसी राजनीतिक स्टंट क्यों न करे, ये इंसाफ का साल है।
इसने कांग्रेस, सपा, बसपा समेत कई पार्टियों का हिसाब कर दिया। यह 2014 का न्याय है। और जब भी देश में
परिवर्तन की बात आएगी, इतिहास चीखकर
कहेगा 2014 से सबक लो।
somansh surya
Yuva lekha ara

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