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गफलत में जीना ही अब जिन्दगी है मेरी !

mera vala blog
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गलत फहमी को मेरी अब न दूर होने दीजिये ,
गफलत में जीना ही अब जिन्दगी है मेरी !

कंही दूर न हो जाये ये गलत फहमी मेरी ,
अनजाने ही जीना अब जिन्दगी है मेरी !

जख्मी जिगर दवा अब न कीजिये
जख्मों को सीना ही अब जिन्दगी है मेरी !

स्वपन सलोने मुझको दिखाना अब छोड़ो यारो ,
जहर जुदाई का पीना ही है अब जिन्दगी मेरी !

भूले से भी अब कभी नाम ना मेरा लीजिये
क्यूंकि हो गयी गुमशुदा सी है अब जिन्दगी मेरी !

दुनिया की भीड़ में लिखवा के नाम अपना ,
पड़ा रहना किसी कोने में ये ही कसीदगी है मेरी !

तन्हाई में जीने की अब तो हो चली है आदत मुझे ,
लगता है पल दो पल की अब जिन्दगी है मेरी !

दर्द जो तुने मुझको दिए है उम्र भर ,
सहकर दर्द ओ गम जाने क्यू की है मैंने बंदगी तेरी !

” नामदेव”‘ तू तन्हाई में जीता चला जा रात दिन ,
महफ़िल में भी है अकेला जाने कैसी है अब बदकिस्मतीमेरी!
सोमबीर सिंह सरोया
मोब नो 9321083377

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