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मेरी मजबूरी कौन देखेगा

mera vala blog
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खुदगर्जी तो देख ली सबने मेरी मजबूरी कौन देखेगा
जिसको मौका मिलेगा दो रोटी पहले अपनी सकेगा !

तुझे क्या मालूम काम कैसे चल रहा है
मरता क्यों मैं नहीं देख के जमाना जल रहा है
पी कर के जहर आंसू का कैसे हंसी ही उगल रहा है
मिलन दो दिन का देख लिया सबने सदियों लम्बी दूरी कौन देखेगा !

आस का दामन थाम के ……हम तो तेरी आस लेके बैठे है
जाने कब बंद हो जाये क्या मालूम …….बाकि चंद सांसे ले के बैठे है
खुली रख के भी आँखे अपनी पलकों में सपने तुम्हारे देखे है
” नामदेव ”बस यु हीं रुके है के बाद हमारे कौन राह तुम्हारी देखेगा
लेखक –सोमबीर सिंह सरोया
मोब नंबर 9321083377

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