एक प्रतियोगिता है निर्लज्ज की तरह रुके खड़े रहने खड़े खड़े गिरने और फिर कतार तोड़कर पहले मरने की| यही नया दौर है… असफलता का|
वैसे भी नंगा नहाता है जो कुछ नहीं निचोड़ता कुछ नहीं सुखाता|
-Sourav Roy “Bhagirath”
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