souravroy
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इस सालगिरह पर
तुम्हे भेंट करने को
कविता लिखना चाहता हूँ
पर शब्द कागज़ पर नहीं बैठते
विचार जुगनुओं की तरह
जलते बुझते रहते
कोरे कागज़ पर
बस तुम्हारा नाम लिख
बैठा हुआ हूँ |
इतने सालों से तुम्हारा नाम
साबुत है बस
मेरी कविता की यही सार्थकता
सुन्दरता है ||
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