souravroy
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मेघ नहीं हूँ मैं
नहीं हुआ मेरा जन्म
समुद्र की कोख में
न मैं बर्फ सी शीतल हूँ
न ही रुई सी कोमल |
आतंकवादियों के
बमों और तोपों से
जल भुनकर राख हुए
बच्चे बूढों स्त्रियों की
चिता से उठता
राख भर हूँ !
मेघ नहीं हूँ मैं
जैसे तुम मानव नहीं हो ||
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