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अंग्रेजियत के अवशेष (कविता)

शब्दस्वर
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अंग्रेजियत के अवशेष
. —-॰—
गुलामी की जंजीरोँ से
भारत हुआ स्वतंत्र ,
मगर आ नहीँ पाया
स्वदेशी का तन्त्र ।
.
अनवरत है जारी देखो
मैकाले की शिक्षा ,
हर भारतवासी को देती ,
भौतिकवादी दीक्षा ।
.
भारतमाता के पुत्रोँ को
किया विमुख भारत से,
अंग्रेजी मेँ शिक्षा देकर
अन्याय किया हिन्दी से ।
.
मँहगाई से आम जन
हुआ बहुत लाचार,
लेकिन बढ़ता जा रहा
देश मेँ भ्रष्टाचार ।
.
भ्रष्टाचार की दीमक ने
किया खोखला देश,
देश का पैसा गबन कर
भेज रहे विदेश ।
.
पुरखोँ को विस्मृत किया
बदल दिया निज वेश,
अंग्रेजी तहजीब के
धारण कर अवशेष ।
…. …. …. …. …. …. …. …..
– सुरेन्द्रपाल वैद्य ,

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