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बात यही है सत्य ( कविता )

शब्दस्वर
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मतदाता ने जिसे बनाया ,
देश का रक्षक ।
वे तो भ्रष्टाचारी निकले ,
देश के भक्षक ।
देश के भक्षक लेकिन ,
जनता जान चुकी है ।
कौन है भ्रष्टाचारी ,
सब पहचान चुकी है ।
बात यही है सत्य ,
देश से माफी मांगो ,
पश्चाताप में अपना जीवन ,
शेष बिता लो ।।
—————-
लांघी भ्रष्टाचार ने ,
नैतिकता की हद ।
कालेधन के महादैत्य का ,
कौन करेगा वध ।
कौन करेगा वध ,
बन चुका रक्तबीज यह ।
नेता मंत्री और नौकरशाह ,
इसके साधक ।
बात यही है सत्य ,
देश जब जाग उठेगा ।
रक्तबीज का अंत ,
उसी क्षण हो पायेगा ।।
—————-
जनलोकपाल की खातिर ,
अन्ना का आंदोलन ।
देश चल पड़ा पीछे उनके ,
कदम से कदम मिलाकर ।
कदम से कदम मिलाकर ,
बहरो अब तो जागो ।
कानून बनाओ सख्त ,
नहीं तो सत्ता त्यागो ।
बात यही है सत्य ,
देश जब लुटता जाता ।
जनता और जननेता बन जाते,
इसके भाग्य विधाता ।।
— — — — — — — —
– सुरेन्द्रपाल वैद्य

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