शब्दस्वर
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सत्ता के इस खेल मेँ ,
पीछे छूटा देश ।
मंत्री सांसद जा रहे ,
एक एक कर जेल ।
एक एक कर जेल,
ये कैसा लोकतंत्र है ।
अपराधी का मान,
प्रताड़ित देशभक्त है ।
बात यही है सत्य, सोचना होगा सबको ।
आजादी का मूल्य,जानना होगा हमको।।
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फांसी के फंदोँ को चूमा ,
जीवन किया समर्पित ।
तब पाई आजादी हमने ,
भारी मूल्य चुकाकर।
भारी मूल्य चुकाकर,
इसे क्योँ भूल रहे हो ।
मंत्री अफसर बनकर ,
देश को लूट रहे हो ।
बात यही है सत्य , अगर अब भी न जागे ।
फिर से बन जाएंगे , सभी गुलाम अभागे ।
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