Menu
blogid : 5617 postid : 158

भ्रष्ट राजनीति और अक्षम नेतृत्व

शब्दस्वर
शब्दस्वर
  • 85 Posts
  • 344 Comments

देश की सत्ता के शिखर पर बैठे लोग जब तक ईमानदार , चरित्रवान , देशभक्त तथा आदर्श स्थापित करने वाले नहीं होंगें तब तक यह देश प्रगति नहीं कर सकता । सभी समस्याओं की जड़ में इन्हीँ मूल तत्वों के अभाव का होना है । जिसके कारण केन्द्र सरकार विदेशी शक्तियों तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनीयोँ के दबाव मेँ काम कर रही है । देशभक्त तथा स्वाभिमानी लोग कभी भी किसी के दबाव में नहीँ आ सकते । व्यक्तिगत स्वार्थोँ के चलते अधिकतर राजनीतिक लोग अपनी कुर्सी के प्रभाव से अधिकतम आर्थिक लाभ कमा लेना चाहते हैं । इस लोभ से देश का कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीँ रह पाया है । राष्ट्रहित गौण हो गये हैं । संसद सत्रोँ का ज्यादा समय आरोपों प्रत्यारोपोँ को लेकर हुड़दंग की भेंट चढ़ रहा है । सरकार अपनी ऊर्जा जन लोकपाल को कमजोर करने तथा अपने विरुद्ध बोलने वालोँ को प्रताड़ित करने में लगा रही है । कलमाड़ी , ए राजा , कणिमोझी …. के घोटालों मेँ फंसने के बाद अब चिदंबरम की चिंता सरकार को खाए जा रही है । पूरी की पूरी दाल ही काली है ।
आज देश में राजनैतिक नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है । अन्ना हजारे के आँदोलन ने देश के सामने एक उदाहरण पेश किया है । आपातकाल के समय इसी प्रकार का सफल आँदोलन जयप्रकाश नारायण ने किया था । आज परिस्थितियाँ बहुत बदल गई हैं । लेकिन राष्ट्र और राष्ट्रभक्त समय और परिस्थितियों से बंधे नहीं होते । जब किसी राष्ट्र का स्वाभिमान जागृत होता है तो वह फिर से पूरी ऊर्जा के साथ विश्व मानचित्र पर प्रकाशमान होने लगता है । व्यक्ति तथा दल आते जाते रहते हैं । किसी पार्टी विशेष का देशभक्ति पर विशेषाधिकार नहीँ हो सकता । सत्ता में आने पर अपने दायित्वों और जनता से किए वायदों को भी पूरा करना होता है । पीठ पर नैतिकता और इमानदारी का लेबल चिपकाने से कोई बड़प्पन की डीँग नहीँ हाँक सकता । यह सब उसके जीवन और कर्मोँ में दृष्टिगोचर भी होना चाहिए । देश की बड़ी गैर राजनैतिक स्वयंसेवी संस्थाओँ को भी आंख मूंदकर किसी राजनैतिक पार्टी का समर्थन नहीं करना चाहिए । इससे उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । वर्तमान मेँ देश को दृढ़ , ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ तथा क्षमतावान नेतृत्व की आवश्यकता है ।
लेकिन सभी राजनैतिक दल उम्मीदवारों में केवल जीतने की क्षमता देखकर भ्रष्ट लोगों को भी टिकट थमा देते हैं । परिवार वाद का घातक रोग भी सभी दलोँ में दिनोँदिन बढ़ता ही जा रहा है । 2जी घोटाले ने करुणानिधि परिवार को बेनकाब करके रख दिया है । काँग्रेस का तो पूरा ढाँचा ही परिवारवाद के दर्शन पर टिका है । प्रदेशोँ के मुख्यमंत्रियों के बेटे सांसद तथा उप मुख्यमंत्री बन गये हैं । पिछली पीढ़ी के अनेक भ्रष्ट मंत्री कानून की गिरफ्त में हैँ । भँवरी देवी प्रकरण में फंसे राजस्थान के मँत्री की पत्नी तथा पुत्री को इसमेँ कुछ भी आपतिजनक नहीँ लगता । तिहाड़ से जमानत पर बाहर आए सुखराम के विधायक पुत्र को अपने पिता निर्दोष तथा षड़यंत्रोँ के शिकार लगते है । देश मेँ भ्रष्टाचारियोँ का समर्थन करने वालोँ की एक नई जमात खड़ी हो गई है जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीँ है ।
चुनावोँ में वोट देने के लिए स्वच्छ छवि के प्रत्याशी तलाश करना भी आसान नहीं है । सभी दलों में भ्रष्ट लोगोँ की घुसपैठ है । अत: सभी देशवासियोँ को चाहिए कि पूरी छानबीन करने के बाद ही अपना वोट सही प्रत्याशी को देँ । देश मेँ जैसे हालात बनते जा रहे हैं उससे एक सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद तो की ही जा सकती है ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh