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रामकथा का मर्म (कविता)

शब्दस्वर
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*रामकथा का मर्म*

रामकथा का मर्म समझ लो,
निज जीवन का धर्म समझ लो।

जनसेवा हित गुजरे जीवन,
उत्तम यह सत्कर्म समझ लो।

धर्ममार्ग पर शक्ति साधना,
सभी करेँ अविराम समझ लो।

लक्ष्य प्राप्त करने की खातिर,
मेहनत को प्रभु नाम समझ लो।

शबरी के जूठे बेरोँ में,
भावभक्ति का मर्म समझ लो।

दीन दुखी को गले लगाओ,
हर प्राणी में राम समझ लो।

——————-
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
.<img src="https://www.jagran.com/blogs/spbaidya/wp-content/uploads/sites/5617/2013/04/प्र

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