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राष्ट्रभाषा हिन्दी पर एक गीत…
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*हर जगह हिन्दी*
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हर जगह हिन्दी को ही लागू करायें,
आज फिर संघर्ष की भेरी बजायेँ।
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रह गई बाकी अभी जो,
दासतां की श्रृंखलायें।
मुक्त अपने देश को,
शीघ्र ही इनसे करायें।
राष्ट्र की भाषा क्योँ अब भी,
बन्धनों में कसमसायें।
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आज फिर संघर्ष की भेरी बजायेँ….
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देवों की इस भाषा ने ही,
संस्कृति को आधार दिये हैं।
अमर शहीदों ने जो गाये,
राष्ट्रभक्ति के गान दिये हैं।
आजादी दिलवाई जिस ने,
उस को ऊंचा स्थान दिलायें।
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आज फिर संघर्ष की भेरी बजायेँ….
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मुक्त देश की संसद में क्यों,
अंग्रेजी में हो संबोधन।
जो नेता ऐसा करते हैं,
उनको घर बिठलायें सब जन।
हिन्दी हित सब हृदयों में अब,
श्रद्धा भक्ति का भाव जगायें।
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आज फिर संघर्ष की भेरी बजायेँ….
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हर शिक्षा हिन्दी में होगी,
सब ऐसा संकल्प करेँ।
संसंद न्याय व कार्यालय में,
हिन्दी में ही सब काम करें।
उपर से नीचे तक सारे,
हिन्दी की ही धूम मचायें।
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आज फिर संघर्ष की भेरी बजायेँ,
हर जगह हिन्दी को ही लागू करायें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)।
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