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‘Contest’ नव परिवर्तनों के दौर में हिन्दी ब्लागिंग

शब्दस्वर
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हिन्दी सदियों पूर्व से ही इस देश की सम्पर्क भाषा के रूप में व्यवहार में रही है। चारधाम तथा अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं और व्यापारियों के संवाद की भाषा होने के कारण यह संपूर्ण भारत की संपर्क भाषा रही है।
वर्तमान समय में भूमण्डलीकरण की विवशताओं तथा सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के कारण हिन्दी का भी विस्तार हुआ है। बाजार की आवश्यकताओं ने अपने आर्थिक हितोँ के अनुरूप हिन्दी का उपयोग तथा विकास किया है। इलैक्ट्रानिक माध्यमों में हिन्दी चैनलों के आने से इसके विकास ने एक नई दिशा की ओर रुख किया है। बीसवीं सदी सिनेमा के विकास की सदी रही है इसके कारण भी हिन्दी का अभूतपूर्व विकास तथा प्रसार हुआ है।
लेकिन वर्तमान में सूचना प्रौद्यौगिकी के विकास के कारण राष्ट्र के सामाजिक जीवन में बहुत बदलाव आया है। कम्प्यूटर तथा अन्य आधुनिक उपकरणों की के बढ़ते उपयोग ने आम आदमी के जीवन को बदल कर रख दिया है। इसके प्रभाव ने लिखने पढ़ने के साधनों और प्रक्रियाओं को नये
आयाम दिए हैं।
लेखन के क्षेत्र में ब्लाग लेखन का एक नया आयाम उभरकर सामने आया है। एक जमाना था जब अच्छी प्रसार संख्या वाली हिन्दी पत्र पत्रिकाओं की भरमार हुआ करती थी जिनमें सभी साहित्यिक विधाओं के लेखकों को छपने का अवसर मिल जाता था। लेकिन वर्तमान में पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन और स्तर को जैसे ग्रहण लग गया है। पत्रकारिता बिल्कुल व्यावसायिक होकर रह गई है। साप्ताहिक हिन्दुस्तान तथा धर्मयुग जैसी प्रतिष्ठित कला, संस्कृति तथा साहित्य को समर्पित अनेकों पत्रिकाएं इतिहास बनकर रह गई हैं। आज अधिकतर पत्र पत्रिकाएं उपभोक्तावाद की नग्न संस्कृति को परोसने का कार्य ही कर रही है। नैतिकता को दरकिनार कर मुनाफा कमाना ही एकमात्र लक्ष्य है।
इन सब चुनौतियों के होते हुए भी हिन्दी को निरंतर आगे बढ़ना है और इसके लिए हिन्दी ब्लागिंग महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। इसके प्रचलन मेँ आने से लेखकों को एक महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध हुआ है। कुछ लिखने के पश्चात उसके प्रकाशन की समस्या को काफी सीमा तक एक समाधान मिला है।
आजकल इन्टरनेट पर ब्लागिंग के अनेक मंच उपलब्ध है जहां एक बार जुड़ जाने के बाद निरंतर आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं खुल जाती है। आप पूरे विश्व में अपनी लेखन विधा से संम्बन्धित लोगोँ के संपर्क में आ सकते हैं तथा विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं। ब्लागिंग सुविधा के कारण ही हिन्दी में रूचि रखने वाले अनेक लोग लेखन की दिशा में सक्रिय हुए हैं। जागरण जंक्शन भी इसका एक अच्छा उदाहरण है जिसके साथ हजारों हिन्दी लेखन में रूचि रखने वाले सक्रियता से कार्यरत हैं। सोशल मीडिया समाज के हर क्षेत्र में गहरी पैठ बनाता जा रहा है। स्वामी रामदेव तथा अन्ना हजारे के आन्दोलनों में भी सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपसी सम्बन्धों तथा जानकारियों को लेकर फेसबुक, ट्वीटर ,गूगल प्लस तथा अन्य माध्यम देश में काफी लोकप्रिय चुके हैं।
आज भूमण्डलीकरण के युग मेँ भाषा एक महत्वपूर्ण प्रश्न बनकर सामने खड़ी है। भारत जैसे विशाल देश में यहां के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, प्रशासकों तथा राजनीतिज्ञों को इसपर ध्यान देना चाहिए।
भारतीय भाषाओं के समाचार पत्र अनावश्यक अंग्रेजी के शब्दों की जगह अपने सरल शब्दों को अपनाकर इस दिशा में महती भूमिका निभा सकते हैं।
भाषा ही संस्कृति की संवाहक होती है। अंग्रेजों द्वारा उनकी संस्कृति का प्रचार प्रसार अंग्रेजी भाषा को लागू करके ही किया गया था जो आज तक अपनी जड़ें जमाये हुए है।
आज हमें आजाद हुए छह दशकों से अधिक समय हो गया है और हमारी सरकार भाषा की समस्या को हल नहीं कर पाई हैं। लेकिन देश की जनता अपने आचार और व्यवहार के द्वारा हिन्दी को महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत है। परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है जिससे हिन्दी भाषा भी अछूती नहीं रह सकती। अपने विकास क्रम में इसने परिवर्तन के अनेक दौर देखे हैं।
इसी दिशा में हिन्दी ब्लाग का भविष्य उज्ज्वल है क्योँकि यह हिन्दी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने वाला एक विश्वस्तरीय आंदोलन का रूप धारण कर चुका है। यह देश की भाषा को परिष्कृत कर इसे सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाने की दिशा में निरंतर गतिशील रहेगा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।

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