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तथाकथित धर्मनिरपेक्षता – राष्ट्रघातक मानसिकता

शब्दस्वर
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इस देश में किसी हिन्दू को अपने हिन्दू होने पर शर्मिन्दा होने की आवश्यकता नहीँ है, होनी भी क्योँ चाहिए? यह इस देश का बहुसंख्य समाज है। इसी की सहिष्णुता से यहां लोकतन्त्र है। देश में जहां भी हिन्दू अल्पमत में है वहीँ से अलगाववादी स्वर उठने शुरु हो जाते हैं। आज विदेशी शक्तियां इसी समाज को मतान्तरित करके कमजोर कर देना चाहती हैं। केन्द्र सरकार मेँ बैठ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग इसी राष्ट्रघातक मानसिकता के शिकार हैं। आज देश की असुरक्षा के लिए यही लोग सबसे अधिक जिम्मेवार हैं।
नरेन्द्र मोदी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि वे राष्ट्रवादी हिन्दू है। किसी समय स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था की गर्व से कहो हम हिन्दू है। उन्होँने शिकागो की सर्वधर्म महासभा में हिन्दुत्व को विश्व बंधुत्व की स्थापना करने वाले सर्वश्रेष्ठ धर्म के रूप में प्रतिपादित किया था। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य का विषय है कि अब तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करके वोट की राजनीति करने वाली पार्टियोँ को आपत्ति होनी शुरू हो गई है। मोदी द्वारा मुस्लिमों को रमजान की बधाई देने पर कांग्रेस तैश मेँ आ जाती है। लेकिन जनता को यह समझ आ रहा है कि कांग्रेस ही अन्य सत्ता की भूखी पार्टियोँ के साथ मिलकर सांप्रदायिकता का कार्ड खेल रही है। जातिगत राजनीति करने वाले तथा अपने हिन्दू होने पर शर्मिन्दा होने वाले ये मौका परस्त कभी भी देश का भला नहीँ कर सकते। बहुसंख्य हिन्दू समाज को हाशिए पर रखकर राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीँ हो सकता। आवश्यक है सबको साथ लेकर चला जाये न कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्य समाज के विरुद्ध खड़ा कर अपना उल्लू सीधा किया जाए।
नरेन्द्र मोदी सबको साथ लेकर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। उनसे देश को बहुत आशाएं है जिससे यह आवश्यक है कि उनको राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का अवसर दिया जाये।
दूसरी ओर कांग्रेस के महासचिव, दिग्भ्रमित नेता दिग्विजय सिहं जैसे राष्ट्रविरोधियों और आतंकियों के पैरोकार हैं। ये लोग ओसामा बिन लादेन क जिक्र बड़े सम्मानजनक शब्दोँ मेँ करते हैं तथा हमेशा आतंकवादियों के विषय में नरम रवैया अपनाते हैं। वैसे कांग्रेस पार्टी भी दिग्विजय सिंह की बातों को गंभीरता से नहीँ लेती तथा उसके विवादास्पद बयानों से समय समय पर पल्ला झाड़ती रही है। अभी अभी राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार संम्बन्धी बयान से पल्ला झाड़ कर कांग्रस ने उसे दिग्विजय की निजी राय बताया है। उनकी पहचान कांग्रेस के विवादास्पद निजी राय वाले बयान देने वाले महासचिव की बन गई है।
देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानोँ का मानते हैं। अब लोकसभा के चुनाव सर पर देख कर चुनावी थाली में खाद्य विधेयक परोस कर चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी है।
अब कांग्रेस द्वारा इस अध्यादेश का प्रचार करके मतदाताओँ को भ्रमित करने करने के लिए देशभर में प्रवक्ताओं को भेजा जाएगा। किसी भी प्रकार चुनावों में जीत हासिल करके और बहुमत जुटाकर सत्ता प्राप्त करना ही आज राजनीति का मुख्य उद्देश्य बन गया है। जबकि आज पूरे विश्व की राजनीति में सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारा देश भारत गरीबी, बेरोजगारी, आंतरिक और सीमाओं की सुरक्षा जैसी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है।
इन सभी से पार पाने के लिए देश को एकता के सूत्र में पिरोना होगा। जाति, संप्रदाय तथा क्षेत्रवाद से उपर उठकर सबके लिए समान कानून तथा आचार संहिता लागू करनी होगी। सभी धर्म के लोगों को एक ही नजरिए से देखकर भेदभाव को समाप्त करने वाली नीतियां बनाककर दिलों को जीता जा सकता है। आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार के प्रति सख्त रवैया अपनाकर ही समाज में भयमुक्त वातावरण निर्माण किया जा सकता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनेताओं के साथ साथ देशवासियों का यह विशेष दायित्व बनता है दलगत तथा व्यक्तिगत स्वार्थों से उपर उठा जाए जिससे नैतिकता के नए मानदण्ड स्थापित हों। इससे ही देश को दृढ़ निश्चयी तथा कुछ कर गुजरने की क्षमता रखने वाला नेतृत्व मिलेगा जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। निकट भविष्य में आगामी लोकसभा के चुनाव होने वाले है जिसमें देश की जनता को नई केन्द्र सरकार का चुनाव करना है। अगर इस बार भी चूक गए तो बहुत देर हो जाएगी।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी, हि.प्र.

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