शब्दस्वर
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जागरण जंक्शन परिवार के सभी मित्रोँ को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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प्रस्तुत है एक गजल
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हे वैभव की देवी महालक्ष्मी,
तेरे चरणोँ मेँ दूनियाँ का हर आदमी ।
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अनेकोँ दिये तो जलाता रहा ,
मगर दिल अँधेरा लिए आदमी ।
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खूब खाओ मिठाई मगर सोच लो,
पड़ोस मेँ कौन भूखा रहा आदमी ।
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आँगन मेँ सुन्दर सजी अल्पना,
ख्वाब सुन्दर सजाता रहा आदमी ।
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उजालोँ से शिक्षा नहीँ ली कोई,
क्योँ अंधेरे से डरता रहा आदमी ।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य,
मण्डी, हिमाचल प्रदेश ।
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