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बात यही है सत्य (कविता)

शब्दस्वर
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बात यही है सत्य
*
नवरात्रि का पावन पर्व,
मना रहे सब लोग,
माँ चरणोँ मेँ करते अर्पण ,
भांति भांति के भोग ।
भांति भांति के भोग,
मगर एक संकल्प भी धर लेँ ।
मातृशक्ति का मान,
पूर्ण निष्ठा से कर लेँ ।
बात यही है सत्य,
जहाँ सम्मान हो माँ का ।
वहाँ भरे भण्डार,
जगत के सभी सुखोँ का ।
** ** ** **
गर्भ में पलती कन्याओँ की, पहले कर लेँ रक्षा ।
फिर कन्या पूजन करें,
यही पर्व की शिक्षा ।
यही पर्व की शिक्षा,
इसे अपनाएँ सब जन ।
तब खुशियोँ से झूम उठेगा,
हर घर आँगन ।
बात यही है सत्य,
है देवी जब हर घर मेँ ।
पूजा का हर पुण्य,
बसा उसके पालन मेँ ।
** ** ** **
दहेज के कारण बढ़ रहे,
स्त्री पर अत्याचार ।
लेकिन जाग चुकी है अब वह,
करने को प्रतिकार ।
करने को प्रतिकार,
शक्ति माँ दुर्गा बनकर ।
अत्याचारी को दिलवाने,
दण्ड भयंकर ।
बात यही है सत्य,
गया वह बीत जमाना ।
नारी को पड़ता था,
जब घुट कर मर जाना ।
– – – – – – – – – – – –
– सुरेन्द्रपाल वैद्य

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