शब्दस्वर
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मुक्तक- १
जी एस टी का’ देखिए, खूब मचा है शोर।
इससे रहित प्रभाव से, बचा न कोई छोर।
यही प्रणाली देश के, हित में ही है आज।
जिससे सब बढ़ते चलें, नित्य प्रगति की ओर।
मुक्तक- २
कुछ करने का देश के, मन में भरा जुनून।
राष्ट्रप्रेम से छलकता, आज सभी का खून।
देश हमारा एक है, भिन्न भिन्न हैं पंथ।
इसीलिए सब चाहते, एक नियम कानून।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०१/०७/२०१७
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