इससे पहले भारत को एशिया कप में झटका तब लगा जब विस्फोटक बल्लेबाज़ विरेन्द्र सहवाग चोट लगने के कारण खेल नहीं पाए. भले ही एशिया कप में अब तक उनका बल्ला शांत रहा है परन्तु बांग्लादेश के खिलाफ़ अपनी गेंदबाजी की बदौलत उन्होंने भारत को मैच जिताया था और पूरा विश्व जानता है कि अगर सहवाग का बल्ला चला तो उसे रोकना बहुत कठिन है. आज भारत ने भज्जी की जगह ओझा को मौका दिया, वहीं नेहरा का स्थान डिंडा को मिला. चोटिल सहवाग की जगह दिनेश कार्तिक को टीम में शामिल किया गया. वहीं श्रीलंका ने भी अपनी टीम में कुछ बदलाव किए. अगर हम प्रतियोगिता की दृष्टि से देखें तो यह मैच केवल औपचारिक था क्योंकि श्रीलंका और भारत पहले ही एशिया कप के फाइनल में पहुंच चुके थे लेकिन फिर भी दोनों टीमें यह मैच जीत कर दूसरी टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहते थे. देखना यह था कि कौन सी टीम करती है पहला वार.
श्रीलंका के कप्तान संगकारा ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया. सहवाग की जगह आए कार्तिक और अच्छे फार्म में चल रहे गंभीर ने संभलकर खेलना शुरू किया और पहले विकेट के लिए अर्धशतकीय पारी खेली. लेकिन फिर गंभीर के आउट होने पर भारत ने जल्दी-जल्दी विकेट खो दिए और मात्र 110 रनों पर उसके चार विकेट गिर गए थे. इसके बाद एकदविसीय बल्लेबाजों की फेहरिस्त में नंबर एक बल्लेबाज़ भारतीय कप्तान धोनी ने रोहित शर्मा के साथ मिलकर पारी संभाली. देखते ही देखते रोहित शर्मा ने अपना पचासा पूरा किया लेकिन इसके बाद आया मैच का “टर्निंग पॉइंट”. श्रीलंकाई टीम के कप्तान संगकारा ने गेंदबाजी के लिए फरवीज महरूफ को बुलाया और इसके बाद महरूफ ने जो कारनामा किया उसका तो खुद समय गवाह है. अपनी नपी तुली गेंदबाजी की बदौलत लगा दी फरवीज महरूफ ने अपने क्रिकेट करियर की पहली हैट्रिक.
210 रनों के आसान लक्ष्य का सामना करने उतरे श्रीलंकाई बल्लेबाज़ जानते थे कि अगर वह विकेट पर टिके रहे तो रन अपने-आप ही बनते रहेंगे और उन्होंने ऐसा ही किया. पहले थरंगा और दिलशान ने अच्छी साझेदारी की और बाद में श्रीलंका की सबसे अनुभवी जोड़ी जयवर्द्धने और संगकारा ने अच्छा खेल खेलते हुए भारत को सात विकेट से पराजय दी. श्रीलंका की तरफ़ से कप्तान संगकारा ने सबसे अधिक 73 रन बनाए. जीत के साथ श्रीलंका ने साफ़ कर दिया कि वह यह श्रृंखला जीतने के लिए खेल रहा है और उनको हल्के से लेना टीम इंडिया के लिए भारी पड़ेगा.
एक बात जो भारत और एशिया कप के ख़िताब के बीच आ सकती है वह है सहवाग की चोट जिनका फाइनल में खेलना तय नहीं है. सचिन के टीम में न रहने के कारण सहवाग सबसे बड़े मैच विनर खिलाड़ी हैं जो केवल एक भाषा जानते हैं “आक्रमण ही सबसे अच्छा बचाव है” और जो अकेले दम पर मैच जिता सकते हैं. दुनिया के गेंदबाज़ जिनका खौफ़ खाते हैं उनका टीम में न रहना खलेगा ज़रूर.
श्रीलंका ने लीग मैच जीत कर पहला वार तो कर दिया है परन्तु इस एशिया कप की लड़ाई को टीम इंडिया को ही जीतना होगा. शायद धोनी की टीम के टी20 के खराब प्रदर्शन के बाद हारने की कोई गुंजाइश नहीं है.
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