पन्द्रह साल, तीन बार फाइनल की हार और तीन अलग अलग कप्तानों की जोर-आजमाइश के बाद एक बार फिर एशिया कप हुआ भारत का. एशिया के किंग का यह ताज सजा धोनी की सेना के सर.
भारत पांचवीं बार एशिया कप का चैंपियन बना है. उसने इससे पहले 1984, 1988, 1990 और 1995 में खिताब जीता था. इसके बाद 1997, 2004 और 2008 में भी भारत एशिया कप के फाइनल में पहुंचा था लेकिन तीनों अवसरों पर उसे श्रीलंका के हाथों ही हार का सामना करना पड़ा था.
धोनी ने फिर बदली तस्वीर
धोनी की कप्तानी कॅरियर में यह एक और नया सुनहरा अध्याय होगा. अभी तक कई मौकों पर उन्होंने टीम को ऐसे खिताब दिलाए हैं जिनका सूखा पड़ गया था. आस्ट्रेलिया में जीत हो या न्यूजीलैण्ड में टी-ट्वेंटी का ताज हो हर जगह कैप्टन कूल ने दिखाया है कि वह टीम को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के काबिल हैं. किस्मत बेशक आजकल धोनी का साथ ज्यादा न दे रही हो, लेकिन जो किस्मत को भी अपनी मुठ्ठी में करे वही असली विजेता होता है.[videofile]http://mvp.marcellus.tv/player/1/player/waPlayer.swf?VideoID=http://cdn.marcellus.tv/2962/flv/14892032206252010192139.flv::thumb=http://cdn.marcellus.tv/2962/thumbs/&Style=5403′ type=’application/x-shockwave-flash[/videofile]
तीन बार के बाद चौथे में था कुछ अलग
24 जून दांबुला में धोनी ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. भारत की शुरुआत मिली-जुली रही. गंभीर ने जहां 15 रन बनाए वहीं सहवाग की जगह आए कार्तिक ने सूझबूझ के साथ 66 रन का सहयोग दिया. साथ ही कप्तान महेंद्र सिंह धोनी(38) तथा रोहित शर्मा(41) की उपयोगी पारियों और रैना-जडेजा की छोटी मगर महत्वपूर्ण पारियों की बदौलत भारत छह विकेट पर 268 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा कर सका.
गेंदबाज आए फार्म में
जवाब में श्रीलंका को पहले ओवर में झटका झेलना पड़ा जब बिना कोई रन बनाए दिलशान प्रवीण कुमार की गेंद पर आउट हो गए. देखते ही देखते भारतीय गेंदबाजों का रवैया तीखा हो गया. थरंगा को आठवें ओवर में जहीर खान ने आउट किया तो उसके बाद आशीष नेहरा ने लंबे समय बाद अपने फार्म में आने का संकेत देकर श्रीलंका के मध्यक्रम की रीढ़ तोड़ दी. उन्होंने जयवर्धने, मैथ्यूज़ और संगकारा को भी पवेलियन का रास्ता दिखाया. 16वें ओवर में श्रीलंका का स्कोर था पाँच विकेट के नुकसान पर मात्र 51 रन. इसके बाद कादंबे और कापुदेगरा ने आकर स्थिति को संभालने की कोशिश की लेकिन एक छोर से विकेटों का पतन जारी रहा. और इस तरह श्रीलंका की पूरी टीम केवल 44.4 ओवरों में 187 रन बनाकर आउट हो गई. आशीष नेहरा ने चार विकेट लिए तो ज़हीन खान और रवींद्र जडेजा को दो-दो विकेट मिले.
कमाल की बात है
भारत अब कुल पांच बार एशिया कप का विजेता बना है और जिसमें से चार बार उसने श्रीलंका को हरा कर यह खिताब अपने नाम किया है.
तो क्या एशिया में भारत और श्रीलंका ही सबसे मजबूत टीम है. क्या हुआ पाकिस्तान के रफ्तार के सौदागरों का, अफरीदी की धार अब थम क्यों गई है?
एशिया कप 2010 की खास बातें
भारत-पाक मैच में झगड़ों का दौर जारी : एशिया कप हो या कोई और कप, एक बात पक्की है जब भी भारत और पाकिस्तान आपस में भिड़ेंगे तो मैच सिर्फ मैच नहीं रहेगा. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जब भारत-पाक मैच के दौरान शोएब अख्तर और हरभजन के बीच जोरदार गर्मा-गर्मी हो गई. दोनों मैदान में तो उलझे ही, अख्तर ने तो जाते-जाते कुछ ऐसा इशारा किया मानो कह रहे हों “बस एक …चल चल मैंने कई जिताए हैं”. और ऐसा नहीं था कि सिर्फ भज्जी और अख्तर जैसे गर्म खून के खिलाड़ी ही आपस में भिड़े. मिजाज से शांत गौतम गंभीर भी पाकिस्तानी विकेटकीपर कामरान अकमल से भिड़ गए थे.
खैर यह सब देख भारत-पाक खेल-प्रेमियों में जो उत्साह जागता है वह देखने लायक होता है. और आगे भी जब यह दोनों टीमें भिडेंगी तो मैच, मैच नही जंग बनेगा.
15 साल का सूखा हुआ खत्म: भारत जहां शुरुआत में चार बार इस खिताब का विजेता था मगर 15 साल से हार का सामना करने के बाद इस बार उसे सफलता मिल ही गई.
महरुफ की हैट्रिक: अंतिम लीग मैच में श्रीलंका के महरुफ ने भारत के खिलाफ विकेटों की ऐसी लड़ी लगाई कि हैट्रिक भी बना डाली. यह एशिया कप की पहली हैट्रिक बनी.
मैन ऑफ द सिरीज- बूम बूम आफरीदी : कहते है क्रिकेट की दुनिया में सबसे घातक और सबसे सुंदर चेहरा पाकिस्तान के शाहिद आफरीदी का है, यह सही भी है. अपने खेल से क्रिकेट में अलग पहचान बना चुके आफरीदी का जलवा इस एशिया कप में ऐसा चला कि पाकिस्तान के बाहर होने के बाद भी उन्हें ही मैन ऑफ द सीरीज का खिताब दिया गया.
अगला एशिया कप 2012 में होगा. तब तक भारत के पास होगा यह ताज. अगले कप के लिए हो सकता है कोई और इस खिताब का हकदार बने या भारत खुद इस खिताब को अपने घर में रखने में कामयाब हो जाए.
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