गेंदबाज़ आग उगल रहे थे,
बल्लेबाजों से रन नहीं बन रहे थे,
विकेट पत्तों की तरह झड़ रहे थे
फिर आया भूचाल
जिसने उल्टा कर दिया परिणाम
पहले गेंदबाजों का अच्छा प्रदर्शन फिर पठान की आतिशबाजी ने भारत को केपटाउन में जीत दिला दी और टीम इंडिया के धुरंधरों ने साबित कर दिया कि पिछले मैच में हम तुक्के से नहीं जीते थे. भारत की इन दोनों जीत की सबसे खास बात यह है कि इन दोनों जीतों में भारत की युवा बिग्रेड ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया.
विश्व कप से पहले यह जीत टीम इंडिया के मनोबल के लिए भी बहुत ज़रुरी है. अगर कल भारत हार जाती तो जीत के कारवां को जो गति मिली थी वह थम जाती, जिससे खिलाड़ियों का मनोबल भी कम होता.
कल भारत का प्रदर्शन शानदार था खासकर युसूफ पठान की बल्लेबाज़ी ने तो बोथा के छक्के छुडा दिए. लगता है 124 रनों की पारी ने युसूफ के आत्मविश्वास में चार-चांद लगा दिया है. इसीलिए तो वह दक्षिण अफ्रीका के तेज़ गेंदबाजों के सामने भी नहीं घबराए खासकर अफ्रीका के तेज़ गेंदबाजों की शॉर्ट पिच गेंदों के सामने वह डटे रहे और जब स्पिन गेंदबाजों का सामना उनसे हुआ तो अफ्रीका के स्पिन गेंदबाजों को नानी याद आ गई. आसानी से कहा जा सकता है कि रैना और युसूफ पठान के बीच छठे विकेट के लिए हुए 75 रनों की साझेदारी ने मैच का परिणाम बादल दिया, लेकिन जिस तरह से रैना ऑउट हुए उसे देख कोच गैरी ज़रूर नाराज़ हुए होंगे. ऑउट होने से पहले रैना ने हर रन बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया और टीम को बुरे दौर से उबारा और जब जीत सामने दिख रही थी तब रैना ने गैरजिम्मेदाराना शॉट खेला और ऑउट हो गए और वह भी तब जब ऐसा शॉट खेलने की कोई ज़रूरत नहीं थी. यही नहीं ज़हीर ने भी कुछ ऐसे शॉट खेले और ऑउट हुए. खास बात यह थी कि यह गलती उन खिलाड़ियों ने की जो टीम के अनुभवी खिलाड़ी हैं. ऐसे में सवाल उठता है “क्या घास चरने गया था उस समय उनका अनुभव.”
सिर्फ एक महीना शेष है विश्व कप शुरू होने में और अब तो टीम इंडिया के धुरंधर भी चुन लिए गए हैं. टीम देख कुछ आश्चर्य ज़रूर हुआ लेकिन जब तक आप जीतते रहेंगे तब तक आप की गलतियों पर कोई अंगुली नहीं उठाता परन्तु फिर भी “क्या गलती करना ज़रुरी है?”
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