18 अगस्त केपास आते-आते लगता है सरकार समेत सुरेश कलमाड़ी और अन्य खेल अधिकारियों की नींद उड़ने वाली है. पहले इन खेलों में भ्रष्टाचार की तेज महक तो दूसरी ओर भारतीय हॉकी की धुंधली तस्वीर ने खेल मंत्रालय की नींद उड़ा रखी है. वैसे सरकार का रवैया इस मामले में बिलकुल सकारात्मक है, उसका मानना है कि खेलों का आयोजन समय के अनुसार ही होगा, इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी.
विवादों में फंसे राष्ट्रमंडल खेलों को नया झटका दिया है राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने. राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने भारतीय हॉकी संघों की मान्यता को लेकर उठे विवाद को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ को पत्र लिखकर उससे राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय हाकी टीम की भागीदारी पर सलाह मांगी है. इस मसले पर खेल मंत्रालय और एफआईएच आमने-सामने हैं. अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ ने हाकी इंडिया की मान्यता समाप्त करने से इंकार कर दिया है जबकि मंत्रालय ने उसे निजी संस्था बताया और कहा कि उसे मान्यता नहीं दी जा सकती है. अब इस मामले में राजनीति खेल पर किस तरह हावी है साफ झलकता है. कुछ अफसरशाही लोग जहां इसकी मान्यता रद्द करना चाहते हैं वही एक अंतराष्ट्रीय संस्था को इसे मान्यता देने से कोई परहेज नही. लेकिन इससे खतरा यह उत्पन्न हो गया है कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कहीं भारतीय हॉकी टीम मैदान पर उतरे ही न.
तो वहीं दूसरी ओर खेलों पर दनादन राजनीति जारी है. भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने खेल आयोजन समिति के मुखिया सुरेश कलमाड़ी को हटाए जाने की मांग की. उनका कहना है कि कलमाड़ी को स्वयं पद छोड़ देना चाहिए और अगर वह स्वयं पद नहीं छोड़ते हैं तो सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. यानी बात साफ है एक खेल जहां मैदान पर होगा वहीं दूसरा खेल खेला जाएगा सदन में.
और इसी बीच इस प्रकरण में एक नया मोड़ आया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय ओलंपिक संघ(आईओए) के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और हाकी इंडिया के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी. यह जनहित याचिका वकील अजय अग्रवाल ने दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से पड़ताल कराने की मांग की थी. इसके पीछे वजह थी केंद्र सरकार की ओर से पहले ही एचआई की मान्यता रद्द की जा चुकी है.
इस घटनाक्रम में चाहे कुछ भी हो लेकिन सरकार की अनियमितता और खेल मंत्रालय की देरी से देश की शान पर बन आई है. कलमाड़ी पहले ही दरबारी को हटा चुके हैं, अब देखना यह है कि उन्हें कौन और कैसे हटाता है. और क्या खेल सरकार के मुताबिक तयशुदा अंदाज में हो सकेंगे? मलबे और गढ्ढों पर टिकी दिल्ली क्या इतनी जल्दी खूबसूरती के पैमाने पर उतर सकेगी?
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