राष्ट्रमंडल खेलों में घोटालों की बात सामने आई तो रोड से लेकर संसद तक हंगामा हुआ. आनन-फानन में सरकार ने भी घोटालों की जांच के लिए कमेटी बना दी. अब जब चोर को ही आप चोरी की जांच करने बिठाएंगे तो क्या होगा. भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी जो खुद इस घोटाले में सबसे सक्रिय थे उन्हें ही जांच कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया. नतीजा कलमाड़ी ने सिर्फ कुछेक को काट कर खुद को बचा लिया.
अब हाल ही में क्वींस बेटन रिले के सिलसिले में लंदन के एएम फिल्म्स को पिछले साल हुए विवादित भुगतान की जांच प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) को सौंपा गया लेकिन नतीजा वही शून्य. दरअसल ईडी की जांच विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के उल्लंघन तक ही सीमित रहेगी क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं. दरअसल मुद्दा यह नहीं है कि भुगतान के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति ली गई या नहीं. मुद्दा तो यह है कि कंपनी को करोड़ों रुपये का ठेका एक आपराधिक मिलीभगत के तहत दिया गया या नहीं. हो सकता है इस कंपनी को ठेका देने के एवज में अधिकारियों को मोटी रकम मिली हो. ज्ञात हो कि एएम फिल्म्स को एक साजिश के तहत क्वींस बेटन रिले के लिए स्क्रीन डिस्पले लगाने का करोड़ों रुपये का ठेका दिया गया. इसके लिए कोई टेंडर नहीं मंगाया गया. यहां तक कि इसे सही साबित करने के लिए लंदन स्थित भारतीय हाई कमीशन से फर्जी ई-मेल भी आयोजन समिति को भेजी गई. जांच इसी बात की होनी चाहिए थी लेकिन सरकार ने मामला ईडी को सौंप कर इसे जांच के दायरे से बाहर कर दिया. अब इसे लिपापोती नही कहेंगे तो क्या कहेंगे.
इसके साथ प्रतिदिन नए दावे करने वाली दिल्ली सरकार ने कहा है कि राजधानी में पहली बार होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के समुचित उपाय किए गए हैं और किसी भी हादसे से निपटने के लिए हमारी टीम पूरी तरह से तैयार है. गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने राज्यसभा में कहा कि खेलों के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ परामर्श कर सुरक्षा के विस्तृत उपाय किए हैं. यानी सरकार अपनी पीठ थपथपाने का कोई मौका नही छोड़ना चाहती. पर सुरक्षा मसले पर ही आस्ट्रेलियाई सरकार का मत अलग है. उनका कहना है कि वह खेलों के आयोजन से जुड़ी भ्रष्टाचार की खबरों से नहीं बल्कि अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. आस्ट्रेलिया ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 425 एथलीटों और 175 अधिकारियों का एक बड़ा दल भारत भेजने के लिए चुना है. ऐसे में सरकार ने अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को सर्वोपरि करार दिया है और वह चाहते हैं कि नई दिल्ली में प्रत्येक खिलाड़ी और अधिकारी की सुरक्षा की गारंटी मिले.
अब इससे बुरी बात क्या हो सकती है कि दूसरे देश की सरकार हमारे यहां होने वाले खेल आयोजन के लिए अपनी तरफ से मदद करने को तैयार है. यानी उन्हें भारत की तैयारी पर विश्वास नहीं.
इस राष्ट्रमंडल खेल में भारत की जनता को बिना ध्यान में रखे, भ्रष्टाचार की आग पर नेता और अधिकारी संयुक्त तौर पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं. अब तो अपने ही नहीं बाहर के भी लोगों को इसकी भनक हो गई है. सरकार को समझना चाहिए कि इतना घोटाला न सिर्फ जनता को दिक्कत देगा बल्कि जिस कुर्सी के लिए वह कर रहे हैं उसे भी नुकसान पहुंचेगा.
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