जी हां आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स में सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए हर तिकड़म अपनाने को तैयार है. कॉरपोरेट जगत में जिस तरह बढ़िया ब्रांडिंग कर सड़े माल को भी बेच दिया जाता है उसी तरह गरीबी, बदहाली और खामियों को छुपा सरकार कॉमनवेल्थ देशों के सामने अपनी सुधरी छवि रखना चाहती है.
ऑस्ट्रेलिया की कंपनी स्पोर्ट्स मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट जो एक असफल कंपनी है उसे 25 करोड़ का बोनस कमीशन दिया गया. प्रायोजक जुटाने में नाकाम रही स्मैम को टीम कलमाड़ी ने मूल्यांकन से पहले ही चुन लिया था. एक ऐसी कंपनी जिसे लोग सही से जानते भी नहीं और मार्किट में जो सबसे नाकामयाब कंपनी मानी जाती है उसे देश की इज्जत बचाने में सहयोगी बनाया जाता है. यही नहीं स्मैम को उन सब कामों के लिए भी कमीशन देना तय हो गया जो उसे करने ही नहीं थे. असल बात यह है कि कंपनी ने खुद कमीशन का जो ढांचा सुझाया उसे नकार कर 22.5 प्रतिशत कमीशन की सबसे ऊंची दर तय की गई और तो और उसे अलग से मैनेजमेंट फीस के तौर पर 25.31 करोड़ रुपये का ‘बोनस’ कमीशन देना भी तय हुआ. स्मैम कंपनी को प्रायोजन संबंधी कुछ ऐसे कामों के लिए भी कमीशन मिला जो उसे करने ही नहीं थे.
तो वहीं अब तक कॉमनवेल्थ घोटाले से दूर रहे कलमाड़ी पर कैग की टेढ़ी नजर पड़ चुकी है. केंद्रीय सतर्कता आयोग के बाद अब सरकारी ऑडिटर कैग को राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के प्रमुख माइकल फेनेल एवं भारतीय प्रमुख सुरेश कलमाड़ी के आदेश पर राजस्व नुकसान, वित्तीय अनियमितताओं एवं अधिक भुगतान करने वाले प्रमाण मिले हैं. सरकार को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्तीय अनियमितता के दर्जनों मामले गिनाए हैं जिनमें से एक मामला ऐसा है जिसमें फेनेल, कलमाड़ी और सीजीएफ के सीईओ माइक हूपर के निर्देश पर प्रसारण अधिकार दिए जाने में आयोजन समिति को 24 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. कैग द्वारा खेल मंत्रालय को भेजी गई रपट में कहा गया है, “बिना उचित मूल्यांकन के सलाहकार का चयन किए जाने और सलाहकार की सेवाओं में खामियों के चलते राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति को परियोजना में 24.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.” भारत में राष्ट्रमंडल खेल तीन अक्तूबर से शुरू होने वाले हैं. इससे पहले ही वित्तीय अनियमितताओं को लेकर विवादों की जंग बढ़ती चली जा रही है.
तो बात साफ रही कि इस कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले ही कई रिकॉर्ड टूट जाएंगे. बेईमानी, भ्रष्टाचार और घोटालों का ऐसा रिकॉर्ड बनेगा कि आने वाले समय में इसे तोड़ पाना किसी के बस में नहीं होगा.
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