दांबुला में भारत इस साल का एशिया कप का पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ छह विकेट से जीत गया. पहले टी-ट्वेंटी विश्व कप की हार और फिर जिम्बाब्वे में नाक कटाने के बाद भारत की सेना अपने पुराने सितारों और सेनापति के साथ नए रुप में मैदान में उतरी. सहवाग और गंभीर की जोड़ी, धोनी की कप्तानी और भज्जी की वापसी से टीम का गिरा मनोबल उठा था.
बांग्लादेश ने जीता टॉस
बांग्लादेश ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया था और उन्होंने काफ़ी तेज़ी से रन बनाने शुरू भी किए. शुरु में तो जिस तरह से भारतीय गेंदबाजों की पिटाई हुई उसे देखकर तो सबके मन में टी-ट्वेंटी का अनुभव ताजा हो गया. जहीर की धुनाई ऐसी हुई जैसे वह किसी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को गेंद फेंक रहे हों.
आशीष नेहरा तो मात्र 4 ओवर डालकर ही मैदान से बाहर हो गए और तब भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने वीरेंदर सहवाग और रोहित शर्मा की ओर रुख़ किया. दोनों धोनी के भरोसे पर खरे उतरे.
सहवाग ने दो ओवर पाँच गेंदों में सिर्फ़ छह रन दिए और चार खिलाड़ियों को पॅवेलियन की राह दिखा दी. सहवाग ने एक ही ओवर में सैयद रसेल, शफीउल इस्लाम और सुहरावदी शुवो का विकेट चटकाते हुए बांग्लादेशी पारी को धवस्त कर दिया.
भारत की ओर से नेहरा ने दो, सहवाग ने चार, प्रवीण कुमार, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और हरभजन सिंह ने एक-एक विकेट लिया. जहां एक समय टीम का स्कोर 81 रन पर दो विकेट था वहीं देखते ही देखते 167 रन पर पूरी टीम सिमट गई.
वीरु के आने से जय भी आया रंग में
भारत की सबसे बेहतरीन जोड़ी सहवाग और गंभीर के आने से टीम को फायदा तो होना ही था सो हुआ भी. सहवाग बेशक 11 रन ही बना पाए लेकिन गंभीर ने अपने फॉर्म में होने का सबूत दे डाला और 101 गेंद की अपनी पारी में छह चौके की मदद से 88 रन बनाए. उन्हें इस शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला.
एक समय ऐसा भी आया जब भारत बैक फुट पर जाता नजर आया. उस वक्त बांग्लादेश के कप्तान शाकिब उल हसन ने लगातार दो गेंदों पर दो विकेट झटक कर भारत को बैकफुट पर धकेल दिया था. हसन ने विराट कोहली को 11 रन के निजी स्कोर पर स्टंप आउट कराया और अगली ही गेंद पर रोहित शर्मा को शून्य के निजी स्कोर पर पगबाधा आउट किया. लगातार दो विकेट गिर जाने के बाद क्रीज पर आए धोनी ने गंभीर के साथ संभलकर बल्लेबाजी की. और इस तरह भारत ने 30.4 ओवर में चार विकेट पर 168 रन बना कर मैच बोनस अंक के साथ जीत लिया.
अगर बनना है एशिया का किंग तो तोड़ना होगा श्रीलंका का तिलस्म
धोनी को अगर एशिया कप में डंका बजाना है तो कुछ ऐसा करना होगा जो न सचिन कर पाए, न दादा और 2008 में जो वह खुद भी नहीं कर पाए थे. भारत के नाम जहां तीन बार का एशिया कप है तो वहीं इसके सिर पर यह दाग भी है कि भारत पिछले15 साल से इस कप को जीत नहीं सका. भारत और एशिया कप के बीच में जो रोड़ा है वह कोई और नहीं इस बार का मेजबान श्रीलंका है.
भारत श्रीलंका से 1997, 2004, और 2008 का फाइनल हार चुका है और यह भी महज इत्तफाक है कि भारत श्रीलंका को ही तीनों बार हरा कर एशिया कप का सरताज बना था.
यानी कहानी साफ है धोनी को इतिहास भुला कर नई कहानी लिखनी होगी.
हमें मालूम है हमारे पाठको को इंतजार होगा रविवार को होने वाले मैच का जहां भारत और पाकिस्तान भिड़ेंगे. शोएब अख्तर की वापसी और उनकी रफ्तार के सामने सहवाग की बल्लेबाजी शायद ही आप छोड़ना चाहें.
Read Comments