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टीम इंडिया में चोटिल खिलाड़ियों का बढ़ता स्कोर

भारतका हालिया इंग्लैण्ड दौरा बेहद निराशाजनक घट रहा है. इंग्लैण्ड से मिली टेस्ट और टी-ट्वेंटी की हार को और भी दर्दनाक खिलाड़ियों की चोटों ने बना दिया है. अब तक इस पूरी टेस्ट श्रृंखला में कई खिलाड़ी चोटिल होकर देश वापस लौट चुके हैं. पिछले डेढ़ साल में भारतीय खिलाड़ियों को लगातार चोटों की समस्या से जूझना पड़ा है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जबकि एक दौरे में कम से कम सात खिलाड़ी चोटिल हो गए और मूल टीम में बदले हुए खिलाड़ियों [रिप्लेसमेंट] की संख्या भारी पड़ गई. इंग्लैंड दौरा शुरू होने के बाद से पिछले डेढ़ महीने में भारत के सात खिलाड़ियों को चोटों के कारण सीरीज से हटना पड़ा. जहीर खान, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, ईशांत शर्मा, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर और अब रोहित शर्मा इस सूची में शामिल हो गए हैं.


Injury in team indiaटेस्ट सीरीज के लिए विराट कोहली, प्रज्ञान ओझा और आर पी सिंह बीच में टीम से जुड़े जबकि वनडे में जहीर, ईशांत और सहवाग के स्थान पर वरुण एरोन, आरपी सिंह और अजिंक्य रहाणे को लिया गया. जब गंभीर भी बाहर हो गए तो चयनकर्ताओं को फिर से रविंद्र जडेजा की याद आई और अब रोहित के चोटिल होने के बाद टीम में मनोज तिवारी जुड़ रहे हैं.


खामी कहां

हर सीरीज शुरू होने से पहले टीम के खिलाड़ियों का फिटनेस टेस्ट होता है जिसमें खिलाड़ियों को फिटनेस के आधार पर आगे चयन के लिए भेजा जाता है. पूरा गड़बड़ घोटाला यहीं से शुरू होता है. टीम अपने फिजीशियन पर लाखों खर्च करती है पर कुछ खिलाड़ी इनसे अपनी चोट छुपाने में कामयाब हो जाते हैं. इसमें टीम स्टाफ, कोच और ट्रेनर की बहुत बड़ी खामी नजर आती है. हालांकि खिलाड़ियों की भी गलती से मना नहीं किया जा सकता पर हर खिलाड़ी चाहता है कि वह ज्यादा से ज्यादा मैच खेले और चोट के बाद भी कई बार खिलाड़ियों को लगता है कि वह दौरे पर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. पर मैदान पर उतरते ही सारी पोल खुल जाती है.


Sachin Tendulkarइंग्लैण्ड दौरे के दौरान भी युवराज सिंह, सहवाग और जहीर खान जैसे खिलाड़ी चोट के साथ ही टीम में चुने गए थे जिसका हश्र टीम ने देख ही लिया. जहीर खान पहले ही टेस्ट मैच में बाहर हो गए थे तो वहीं सहवाग भी टीम के साथ सिर्फ दो टेस्ट में ही दिखे व बाकी पूरी सीरीज से बाहर रहे और कमोबेश यही हाल युवराज सिंह का भी रहा.


आने वाले समय में बीसीसीआई को ऐसे खिलाड़ियों से सख्ती से निपटना चाहिए जो अपनी चोटों को छुपाकर खेलते हैं. साथ ही रिजर्व खिलाड़ियों की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए.


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