भारतीय टेस्ट टीम ने पिछले पांच दशकों का सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला इंग्लैण्ड के हाथों 4-0 से हारकर टेस्ट रैंकिग में नंबर वन का ताज गंवा दिया. सभी खिलाड़ियों के बुरी तरह फ्लॉप होने के बाद टीम इंडिया का ऐसा हश्र देखकर नही लगता कि कुछ महीने पहले यही टीम विश्व की सर्वोत्तम टेस्ट टीम मानी जाती थी.
इंग्लैण्ड ने बेहतरीन और ऑलराउंडर प्रदर्शन करते हुए भारत को खेल के हर क्षेत्र में मात दिया. भारत ने सीरीज की शुरुआत नंबर एक टीम से की जबकि इंग्लैंड ने तीसरी टीम के रूप में की थी. आस्ट्रेलिया के खिलाफ 1999-2000 में तीन मैचों की सीरीज 3-0 से गंवाने के बाद यह पहला मौका है जब दो से अधिक मैचों की सीरीज में भारत का वाइटवाश हुआ है. इंग्लैण्ड ने इससे पहले पिछली बार 1974 में अपनी सरजमीं पर भारत को बुरी तरह हराया था. इसमें मेजबान टीम ने 3-0 से सीरीज जीती थी.
सीरीज के चौथे टेस्ट मैच में इंग्लैण्ड ने पहले खेलते हुए 591 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य भारत के सामने रखा जिसे भारत अपनी दो पारियों में भी नहीं लांघ पाया. पहली पारी में राहुल द्रविड़ के साहसिक 146 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने 300 का आंकड़ा पार किया. पर दूसरी पारी में हालात और भी बुरे हो गए जब पूरी टीम मात्र 283 के स्कोर पर आउट हो गई.
पहली पारी में जहां द्रविड़ ने ही अकेले 300 में से 146 रन बनाए थे वहीं दूसरी पारी में सचिन तेंदुलकर और अमित मिश्रा ने मिलकर 284 में से 175 रन बनाए. अपने सौवें टेस्ट शतक के करीब खड़े सचिन तेंदुलकर अपने करियर में नौवीं बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए. सचिन ओवल में 91 के स्कोर पर आउट हुए. अब सचिन को अंतरराष्ट्रीय शतकों का शतक पूरा करने के लिए तीन सितंबर से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रही एकदिवसीय सीरीज का इंतजार करना होगा. वैसे भारत इस मैच को ड्रा कराने में सफल भी हो जाता अगर सचिन और अमित मिश्रा के बाद टीम अपने अंतिम सात विकेट 21 रन के भीतर गंवाकर 283 पर नहीं सिमटती.
पिछले मैच में धोनी पिच का रोना रो रहे थे पर इस मैच में नाइट वॉचमैन की भूमिका में आए अमित मिश्रा के 83 रनों ने साफ कर दिया कि गलती कहीं ना कहीं खुद खिलाड़ियों में ही है. भारतीय ओपनरों का लगातार फ्लॉप शो, बेदम और बेरंग गेंदबाजी और बल्लेबाजों का निराशाजनक प्रदर्शन टीम इंडिया को बहुत भारी पड़ा है. जहीर खान और हरभजन सिंह की गैर-मौजूदगी में टीम इंडिया की गेंदबाजी बहुत ही कमजोर दिख रही है. वहीं बल्लेबाजी में भी सभी खिलाड़ी फ्लॉप हो रहे हैं. लक्ष्मण, धोनी, रैना, सहवाग जैसे बल्लेबाजों ने तो कमोबेश हर मैच में निराश किया है और रही-सही कसर क्षेत्ररक्षण ने पूरी कर दी है.
इस समय भारत में जनता का फोकस अन्ना हजारे के ऊपर है और यही वजह है कि धोनी और टीम इंडिया की हार को सब हल्के में ले रहे हैं वरना धोनी को आलोचनाओं का तूफान झेलना पड़ता.
अब देखते हैं टीम इंडिया के शेर 3 सितंबर से शुरू हो रही एकदिवसीय श्रृंखला में क्या गुल खिलाते हैं.
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