खेल में खेल भावना बहुत जरूरी है लेकिन खेल भावना दिखाने के चक्कर में अगर मैच हाथ से निकल जाए तो इसे भला क्या कहेंगे. नॉटिंघम टेस्ट में भारत को मिली 319 रनों की हार ने टीम इंडिया की नंबर वन की कुर्सी को मुसीबत में ला खड़ा किया है. लगातार दो मैच हारने के बाद अब भारत को इंग्लैण्ड के खिलाफ सीरीज की हार का भी सामना करना पड़ सकता है. चार टेस्ट मैचों की इस श्रृंखला में इंग्लैण्ड अब 2-0 से आगे है.
टिम ब्रेसनन, ब्रॉड और मैट प्रायर ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए भारतीय टीम को मुश्किलों में डाल दिया है. हालांकि लक्ष्य ऐसा भी ना था कि जिसे पाया ना जा सके पर समय से पहले ही भारतीय खिलाड़ियों ने हार मानकर खुद को नंबर वन कहलाने पर शक खड़ा कर दिया है. भारत को दूसरी पारी में जीत के लिए 418 रन बनाने थे और उसके पास डेढ़ दिन का खेल बाकी था लेकिन मैच टेस्ट चौथे दिन ही खत्म हो गया. इंग्लैंड ने पहली पारी में 221 रन बनाए थे जिसके जवाब में भारत ने 288 रन का स्कोर खड़ा किया था. लेकिन दूसरी पारी में इंग्लैण्ड ने भारत की सुस्त गेंदबाजी का फायदा उठाते हुए 544 रन बनाए. 478 रनों के लक्ष्य के जवाब में भारत की पूरी टीम दूसरी पारी में 158 रनों पर आउट हो गई. पराजित टीम की ओर से सचिन तेंदुलकर ने सर्वाधिक 56 रन जबकि हरभजन ने 46 और प्रवीण ने 25 रन बनाए. भारत ने मात्र 55 रन के स्कोर पर छह विकेट गंवा दिए थे.
जिन कुछ अहम कारणों से भारत ने यह टेस्ट मैच गंवाया है वह निम्न हैं:
निचले क्रम के बल्लेबाजों को ना रोक पाना : भारतीय क्रिकेट टीम की यह तो बहुत पुरानी आदत है कि वह पुछल्ले बल्लेबाजों को जल्दी समेट नहीं पाता और यहां भी वही हुआ. पहली पारी में इंग्लैंड के 8 विकेट सिर्फ 124 रन पर ही गिर गए, इसके बावजूद इंग्लैंड 221 रन बनाने में कामयाब रहा. यही नहीं दूसरी पारी में भी इंग्लैंड के पुछल्लों पर भारतीय गेंदबाज काबू नहीं पा सके.
पहली पारी में मध्य क्रम और निचले क्रम का विफल होना: इस टेस्ट में भारत की हालत इतनी खराब नहीं होती अगर पहली पारी में मध्य क्रम और निचले क्रम के बल्लेबाजों ने कुछ साहस दिखाया होता तो. एक समय पहली पारी में भारत के 267 रन पर 5 विकेट गिरे थे और द्रविड़ क्रीज पर थे लेकिन इसके बाद तो जैसे सबको पिच पर आने-जाने की जल्दी थी. टीम इंडिया के अंतिम पांच विकेट सिर्फ 21 रन पर ही गिर गए. भारतीय पुछल्ले बल्लेबाजों ने द्रविड़ के शतक की कद्र नहीं की, जिसके कारण टीम इंडिया को महज 67 रनों की ही बढ़त मिल पाई.
धोनी की खेल भावना, बेल का विकेट : अगर कोई खिलाड़ी अपनी गलती से आउट हो गया है तो उसे दुबारा न्यौता देकर खेलने का मौका देना तार्किक नहीं लगता. मैच के तीसरे दिन तीसरे अंपायर ने इयान बेल को रन आउट करार दे दिया, लेकिन कप्तान धोनी ने खेल भावना और दरियादिली दिखाते हुए बेल को दुबारा खेलने के लिए बुला लिया.
बेजान गेंदबाजी : जहीर खान क्या टीम से बाहर हुए भारतीय क्रिकेट टीम की गेंदबाजी तो जैसे पूरी तरह चरमरा गई है. प्रवीण कुमार और इशांत ने विकेट निकालने का दम तो दिखाया है लेकिन वह दोनों निरंतर अंतराल पर विकेटें निकालने में असफल रहे हैं. और ऊपर से हरभजन सिंह का फॉर्म से बाहर होना टीम इंडिया की सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है.
ओपनिंग की चिंता : इस समय भारतीय टेस्ट टीम के दोनों स्टार ओपनर घायल हैं. शुरुआती दोनों टेस्ट मैचों में इनकी कमी साफ झलकी है. अभिनव मुकंद के लिए स्विंग होती गेंदों को खेल पाना मुश्किल हो रहा है तो द्रविड़ की धीमी बल्लेबाजी से टीम को कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा है.
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