देश में क्रिकेट को ज्यादा तवज्जो दी जाती है, इसके पीछे कोई भी खेल आगे नहीं टिकता। लेकिन अब वक्त के साथ अन्य खेलों की भी अहमियत बढ़ रह है फिर चाहे वो, कब्बडी हो या फिर फुटबॉल हो। ऐसे में भारत में फुटबॉल को आगे बढ़ाने के लिए 8 अक्टूबर से फुटबॉल का महाकुंभ यानी अंडर-17 वर्ल्ड कप की शुरुआत हो रही है। जो भारत में खेला जाएगा, इसमें कुल 24 टीमें खेलेंगी और 52 मैच होंगे। ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी किस तरह से मेहनत करके यहां तक पहुंचे हैं।
1. अमरजीत सिंह
मणिपुर के अमरजीत सिंह को टीम का कप्तान चुना गया. अमरजीत सिंह कियाम के पिता किसान हैं जबकि मां मछली बेचती है। मणिपुर के थाउबाल जिले की हाओखा ममांग गांव के अमरजीत के लिए फुटबॉल खेलना प्रारंभ करने से लेकर कप्तान बनने तक का सफर आसान नहीं रहा। अमरजीत ने कहा,’मेरे पिता किसान है और खाली समय में बढ़ई का काम करते है। मेरी मां गांव से 25 किलोमीटर दूर जाकर मछली बेचती है ताकि मेरा फुटबॉल खेलने के सपना पूरा हो सकें’।
2. अनिकेत जाधव
अनिकेत जाधव टीम इंडिया की अंडर-17 टीम में फॉरवर्ड प्लेयर हैं। अनिकेत ने यह सपना तब देखा था, जब घर की माली हालत मुश्किल भरी थी। पिता मिल की नौकरी छूटने के बाद गैराज में मेकैनिक के तौर पर काम करने लगे थे। लंबे समय तक वहां भी बात नहीं बनी तो ऑटोरिक्शा चलाने लगे। इन मुश्किल हालात में भी पिता ने अनिकेत को खेलने से नहीं रोका, वह 6 साल की उम्र से खेलने लगे थे।
3. कोमल थटाल
कोमल थटाल टीम इंडिया की अंडर-17 टीम के शानदार प्लेयर हैं। उनसे काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं, उनके माता-पिता टेलर हैं। कोमल फुटबॉल खेलना चाहते थे, पैसे नहीं होने के कारण रद्दी कपड़ों से गेंद बनाकर ही फुटबॉल खेलने लगते थे। इस गेंद के साथ शुरू हुआ सफर अब भारत टीम अंडर-17 टीम तक जा पहुंचा है।
4. संजीव स्टालिन
टीम के एक अन्य सदस्य संजीव स्टालिन की मां फुटपाथ पर कपड़े बेचती है। स्टालिन ने कहा, ‘मेरे पिता हर दिन मजदूरी की तलाश में यहां-वहां भटकते रहते थे, इसलिए मेरी मां रेहड़ी पटरी पर कपड़े बेचती थी ताकि घर का खर्च चल सके। इस खराब वक्त में भी वो मेरे साथ खड़े रहे और मेरा सहयोग किया।
5. खुमांथेम निंगथोइंगानबा
खुमांथेम निंगथोइंगानबा की मां इम्फाल में मछली बेचती है, लेकिन उनकी मां ने उनके सपनों को हमेशा आगे रखा। मां ने उस दौरान भी अपने बेटे खुमांथेम के खेल पर पूर ध्यान दिया।
6. जितेन्द्र सिंह
कोलकाता के जितेन्द्र सिंह के पिता चौकीदार है, उस दौरान उनके पास पैसे की कमी थी लेकिन उसके बाद भी उन्होंने जितेन्द्र को भी निराश नहीं किया। जितेन्द्र को उस वक्त नहीं पता था कि उनका करियर कैसा होगा लेकिन उन्होंने कभी खेलना नहीं छोड़ा।…Next
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