Menu
blogid : 312 postid : 1360

मिलेंगे भारत रत्न खेल के मैदान से

पिछले दो तीन सालों से खेल के मैदान से लगातार यह आवाज उठ रही थी कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न का खिताब दिया जाए. लेकिन भारत रत्न दिए जाने के कुछ नियमों की वजह से यह मुमकिन नहीं हो पा रहा था. लेकिन अब लगता है भारत को अपना “रत्न” खेल के मैदान से मिल सकता है.


Bharta Ratnaकेंद्र सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के नियमों में बदलाव किए हैं. नए नियमों के मुताबिक भारत रत्‍न अब किसी भी क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन/सेवा करने वाले शख्‍स को दिया जा सकता है. इससे पहले सरकार भारत रत्‍न के लिए कला, साहित्‍य, विज्ञान और लोकसेवा के क्षेत्र में योगदान करने वाले लोगों के नाम पर ही विचार करती थी. इसलिए अब तक कोई भी खिलाड़ी देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को हासिल नहीं कर पाया.


अगर हम भारत रत्न की बात करें तो इसकी शुरूआत 1954 से हुई थी. तब से अब तक 41 लोगों को भारत रत्न का सम्मान दिया जा चुका है. यह भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान होता है. अंतिम बार साल 2009 में भीमसेन जोशी को भारत रत्न दिया गया था. उसके बाद से लगातार समिति इस पुरस्कार के विजेता के नाम पर माथापच्ची करती है पर उसे कोई सही विकल्प नहीं मिला.


हाल ही में लोगों ने जब सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने की बात की तो हॉकी के सुपरस्टार मेजर ध्यानचन्द्र को भी इस पुरस्कार का प्रमुख दावेदार माना गया. अगर किताबों और रिकॉर्डों पर नजर मारी जाए तो दोनों ही दिग्गज अपने अपने खेल में महारथी हैं. अपने बेजोड़ और अद्भुत खेल के कारण उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक खेलों, एम्स्टरडम ओलंपिक 1928, लॉस एंजिलस 1932, बर्लिन ओलंपिक 1936 (कैप्टैंसी) में टीम को तीन स्वर्ण पदक दिलवाए. ध्यानचंद ने ओलंपिक खेलों में 101 गोल और अंतरराष्ट्रीय खेलों में 300 गोल दाग कर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है.


तो वहीं दूसरी तरफ अगर सचिन तेंदुलकर की बात करें तो क्रिकेट के मैदान पर उनसे बड़ा कोई आदर्श नहीं है. सचिन ने भारतीय क्रिकेट टीम को नई ऊंचाईयां और नई दिशा दी है. सचिन एक समय भारतीय क्रिकेट टीम का दूसरा नाम थे. आज बल्लेबाजी में अधिकतर रिकॉर्ड सचिन के पास ही हैं. चाहे टेस्ट हो या वनडे सचिन ने हर फॉर्मेट में भारतीय क्रिकेट के लिए अतुल्य सहयोग दिया है.


अब देखना यह है कि “भारत रत्न” का खिताब इन दो दिग्गजों में से किसके सर पर सजता है. अगर सचिन “भारत रत्न” बनते हैं तो सवाल उठेगा कि क्या एक “कोला” जैसे खतरनाक उत्पाद का विज्ञापन करने वाले को भी हम भारत रत्न बना सकते हैं और अगर ध्यानचंद भारत रत्न बनते हैं तो सचिन की महानता पर सवाल होंगे?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh