भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को किसी भी परिचय की जरुरत नहीं है। भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल का आज जन्मदिन है। साइना ने वो मुकाम हासिल किया है जो हर खिलाड़ी का सपना होता है। साइना ने महिला बैडमिंटन को एक नई पहचान दी और साथ ही करोड़ो युवाओं को इस खेल के साथ जुड़ने का सपना दिखाया। साइना का सफर बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वो सफलता के मुकाम तक पहुंच गई हैं।
दादी ने नहीं देखा था चेहरा
17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में जन्मीं साइना देश की पहली और एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जो बैडमिंटन में वर्ल्ड नंबर वन प्लेयर भी रही हैं। लेकिन साइना नेहवाल जब पैदा हुई थीं तो बेटे की चाहत रखने वाली उनकी दादी इतने गुस्से में थी कि उन्होंने पोती का एक महीने तक मुंह भी नहीं देखा था। लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें वो सबकुछ दिया जिसकी वो हकदरा थी।
बैडमिंटन नहीं ये खेल था पहली पंसद
साइना नेहवाल बचपन में बैडमिंटन नहीं खेलना चाहती थीं, उस वक्त कराटे बेहद पंसद थे। कराटे में वो कई प्रतियोगिताएं भी जीत चुकी थीं, लेकिन आठ साल की उम्र में काफी मेहनत करने के बाद भी उनका शरीर कराटे के लिए फिट नहीं हो पा रहा था, इसलिए मजबूरन उन्हें कराटे को छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पहली बार बैडमिंटन खेला और आज पूरी दुनिया उनकी कायल है।
पिता खर्च कर डालते थे आधी तनख्वाह
साइना की प्रतिभा को सबसे पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ आंध्रप्रदेश के बैडमिंटन कोच पीएसएस ननी प्रसाद राव ने पहचाना था। उन्होंने साइना के पिता को सालाह दी थी कि वे बैडमिंटन में करियर बनाए। हालांकि उस वक्त एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए 8 साल की बच्ची पर आधी तनख्वाह खर्च करना मुश्किल था। लेकिन उनके पिता ने साइना को ट्रेनिंग के लिए तैयार किया औऱ उन्हें एक बेहतरीन कोच दिलाया।
25 किलोमीटर जाती थी ट्रेनिंग करने
साइना नेहवाल आज करियर के जिस मुकाम पर खड़ी है उसमें उनके पिता हरवीर सिंह नेहवाल का बहुत बड़ा योगदान हैं। साइना का पूरा बचपन हैदराबाद में गुजरा है, जहां उनके पिता वैज्ञानिक हैं। बात उस समय की है जब साइना आठ साल की थीं। उन्हें प्रैक्टिस के लिए घर से 25 किलोमीटर दूर लाल बहादुर स्टेडियम जाना पड़ता था। इसके लिए उन्हें सुबह चार बजे उठना पड़ता था। उनके पिता साइना को स्कूटर से स्टेडियम ले जाते। दो घंटे वे भी वहीं रहते थे और बेटी का खेल देखते, फिर वहीं से साइना को स्कूल छोड़ते।
साइना बनी दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी
साइना नेहवाल 28 मार्च, 2015 के दिन स्पेन की कैरोलिना मारिन को इंडिया ओपन सुपर सीरिज सेमीफाइनल में हराकर दुनिया की नंबर वन रैंकिंग हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थीं। 2012 में हुए लंदन ओलम्पिक में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था, बैडमिंटन की दुनिया में ऐसा करने वाली वह भारत की पहली खिलाड़ी हैं।
पारुपल्ली कश्यप से साल 2000 में मिली थीं साइना
साइना ने बताया कि वह साल 2000 में पहली बार 10 साल की उम्र में कश्यप से मिली थीं और 2010 के दौरान उन्हें पहली बार लगा था कि कश्यप वह शख्स हैं जिन्हें वह अपना जीवनसाथी बना सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं कश्यप से पहली बार 2000 में मिली थी। हम हैदराबाद में शिविर में थे। उसी दौरान दोनों दोस्त बने और ये दोस्ती जलद ही प्यार में बदल गई।
Happy with my performance at the nationals …. winner for the 4 th time 🥇🏆would like to thank people who make feel better on court and for supporting me so much .. Big thanks to @parupallik for the inputs 🙏 and would like to congratulate @pvsindhu1 for great fight👍 pic.twitter.com/qL3feYdmIa
— Saina Nehwal (@NSaina) February 16, 2019
परूपल्ली कश्यप से की शादी
भारतीय स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और परूपल्ली कश्यप के साथ शादी के बंधन में बंध गए। दोनों ने पिछले साल 15 दिसंबर को शादी रचाई और कई इसके बाद शानदार पार्टी का आयोजन किया जिसमें कई सारे सितारों ने भी शिरकत की थी।
Best match of my life ❤️…#justmarried ☺️ pic.twitter.com/cCNJwqcjI5
— Saina Nehwal (@NSaina) December 14, 2018
पद्म श्री से नवाजी जा चुकी हैं साइना
साइना नेहवाल को भारत सरकार ने पद्म श्री और भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है। इसके साथ ही जल्द पर उनपर एक फिल्म भी आने वाली है जिसमें उनकी पूरी कहानी दिखाई जाएगी।….Next
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