हरभजन सिंह जिन्हें हम टीम इंडिया के टर्बनेटर के नाम से भी जानते हैं लगता है आजकल बल्ला पकड़कर सोते हैं. तभी तो पहले अहमदाबाद और अब हैदराबाद में उन्होंने न्यूज़ीलैंड टीम की जो बखिया उधेड़ी उसे विटोरी के नेतृत्व वाली टीम कभी नहीं भूल पाएगी.
अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में उन्होंने अपने कॅरियर का पहला शतक जड़ा लेकिन, गौर करने वाली बात यह थी कि जिन परिस्थितियों में वह शतक जड़ा गया था उसने न केवल भारतीय टीम को हार से बचाया था बल्कि सम्पूर्ण विश्व को दिखा दिया कि टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट के नंबर एक के पायदान से हटाना इतना आसान नहीं है. यही नहीं इसी मैच में उन्होंने पहली पारी में 69 रनों की महत्वपूर्ण पारी भी खेली थी.
चलिए यह तो थी अहमदाबाद की बात. अहमदाबाद में हरभजन ने शतक लगाया लेकिन बहुतों ने कहा “अरे तुक्के में लगाया गया शतक था यह, लेकिन तुक्का एक बार लगता है दो बार नहीं. क्योंकि हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में एक बार फिर उनका बल्ला बोला और उन्होंने खेली 111 रनों की अविजित पारी.
हरभजन ने अंतिम विकेट के लिए एस. श्रीसंथ के साथ मिलकर अंतिम विकेट के लिए 105 रन जोड़े. जिसके कारण भारत ने पहली पारी में 472 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया और इस तरह भारत ने पहली पारी के आधार पर 122 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त भी ले ली.
अगर हम हरभजन सिंह के द्वारा किए गए अब तक के प्रदर्शन पर नज़र डालें तो कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें उभर कर सामने आती हैं. सबसे पहले तो यह कि अब टीम इंडिया के पास है एक मजबूत बल्लेबाज़ी क्रम क्योंकि अब टीम का आठवें नम्बर का बल्लेबाज़ भी शतक ठोंक सकता है. अब हम किसी भी खिलाड़ी पर भरोसा कर सकते हैं, जिससे उस खिलाड़ी का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह और भी अच्छा प्रदर्शन करेगा. इसके अलावा अब टीम इंडिया किसी भी चुनौती या स्थिति से नहीं डरती और हमने यह एक बार नहीं बल्कि कई बार साबित कर दिया है.
आत्मविश्वास, मनोबल, भरोसा और साहस एक अच्छी टीम के निशान हैं. इन्हीं गुणों के कारण हम अभी तक स्टीव वा के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलियन टीम को जानते हैं. और शायद अब यही गुण टीम इंडिया की भी पहचान हैं.
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