इस जीत को हम न्यूज़ीलैण्ड टीम की खराब गेंदबाजी कहें या ओस का सहारा आखिरकार हम जीत गए. केवल जीते नहीं बल्कि न्यूज़ीलैण्ड टीम को हमने दिखा दिया कि भले ही इस समय नामी खिलाड़ी आराम कर रहे हों लेकिन हमारे पास बहुत मजबूत बेंच स्ट्रेंथ है. और ठीक विश्व कप से पहले ऐसी बेंच स्ट्रेंथ होना कप्तान धोनी के लिए ‘सोने की सौगात है.’
जयपुर एकदिवसीय में बहुत समय से शांत गंभीर का बल्ला चला. जो गंभीर और टीम इण्डिया के लिए बहुत अच्छे लक्षण हैं. पिछले कुछ समय से गंभीर क्रिकेट के दोनों फोर्मेट के एक मैच जिताऊ खिलाड़ी बनकर उभरे हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से गंभीर की पारियों में गंभीरता कम हो गई थी. वह अच्छी शुरुआत तो कर रहे थे लेकिन इस शुरुआत को एक बड़े स्कोर में नहीं बदल पा रहे थे. और यही गुण एक औसत और बेहतरीन खिलाड़ी में अंतर दर्शाता है.
सही मायनों में जयपुर की जीत पूरी टीम की जीत थी, क्षेत्ररक्षण को छोड़ दें तो सभी क्षेत्र में हम बीस थे. चाहे वह श्रीसंत की गेंदबाज़ी हो या भारतीय बल्लेबाजों की बल्लेबाज़ी, सभी ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए जीत का रास्ता प्रशस्त किया.
वैसे मैच का विश्लेषण करने पर हमें टीम इण्डिया के बहुत से पॉजिटिव पॉइंट्स मिलेंगे लेकिन पॉजिटिव पॉइंट्स से ज़्यादा महत्वपूर्ण निगेटिव पॉइंट्स होते हैं क्योंकि अगर हम कमियों को दूर करेंगे तभी हम विश्व कप जीतने की सोच सकते हैं.
भले ही गेंदबाजों ने अच्छी शुरुआत की लेकिन अंतिम ओवरों में गेंदबाजी अभी भी हमारी कमी है. गेंदबाजी में मिश्रण लाना, यॉर्कर, शॉर्ट पिच गेंदों और गति परिवर्तन का सही से इस्तेमाल करना हम भारतीयों को सीखना होगा. हमारी सबसे बड़ी कमी क्षेत्ररक्षण है जिसमे सुधार तो हुआ लेकिन उतना नहीं जितना होना चाहिए था. कल भी हमने कैच छोड़े. क्रिकेट में एक कहावत है ‘टेक कैच विन मैच’ और अगर हम ऐसे ही कैच छोड़ते रहे तो यह भूल हमें बहुत महंगी पड़ सकती है.
आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट रैंकिंग में अभी हम दूसरे नंबर पर हैं. एकदिवसीय क्रिकेट रैंकिंग में नंबर एक के पायदान पर आने में हमें बहुत मेहनत करनी हैं जिसके लिए यह दोनों ही क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं.
चार बार की विश्व विजेता ऑस्ट्रेलिया और टीम इंडिया में ज़्यादा फ़र्क नहीं है. अगर हमें विश्व विजेता और नंबर एक टीम बनना है तो हमें हर क्षेत्र में अपनी विरोधी टीमों को मात देनी होगी क्योंकि थोड़ा सा भी अंतर हानिकारक हो सकता है.
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