भारत ने जिस हिसाब से पहले मैच में प्रदर्शन किया था उसे देख टीम इंडिया के लिए केवल अपशब्द ही निकल रहे थे. परन्तु शायद यह टीम इंडिया है जो पहले रुलाती है और फिर हँसाती है. न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ़ केवल 88 रन पर सिमट गए और वहीं मेजबान श्रीलंका को बोनस अंक से हरा फिर से शीर्ष पर आ गए.
दांबुला की जीत
मैच शुरू होने से पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दाम्बुला की पिच को लेकर काफ़ी नाखुश थे. प्रैक्टिस सत्र के दौरान दिनेश कार्तिक को लगी चोट के बाद तो वह दाम्बुला की इस पिच पर खेलना ही नहीं चाहते थे. पिच का यह खराब रवैया मैच वाले दिन भी दिखा.
इससे पूर्व टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंकाई टीम को प्रवीण ने पहली ही गेंद पर उपल थरंगा(0) के रूप में तगड़ा झटका दे दिया. इसके बाद तिलकरत्ने दिलशान का साथ देने आए कप्तान कुमार संगकारा केवल 2 रन बनाकर नेहरा की गेंद पर ओझा को कैच थमाकर पवेलियन लौट गए. महेला जयवर्धने ने 4 और थिलान समरवीरा ने 7 रनों का योगदान दिया. श्रीलंका की हालत और बदतर तब हो गई जब सलामी बल्लेबाज़ तिलकरत्ने दिलशान भी 45 रन बनाकर ओझा का शिकार हुए. एक समय श्रीलंका के 83 रन पर छह बल्लेबाज़ पवेलियन लौट गए थे. लेकिन उसके बाद सूरज रणदीप और कुलशेखरा की बल्लेबाजी की बदौलत श्रीलंका 170 रन बना सकी और 46.1 ओवर में आलआउट हो गई.
आसान लक्ष्य का सामना करने उतरी भारतीय टीम ने संभलकर खेलना शुरू किया यहाँ तक कि सहवाग ने भी पहला चौका लगाने से पहले छह ओवर लिए. लेकिन 30 रन पर भारत को पहला झटका तब लगा जब दिनेश कार्तिक 10 रन बना आउट हो गए. इसके बाद टीम इंडिया की स्थिति तब नाज़ुक हो गई जब भारत ने 32 रन पर तीन विकेट गवा दिए. लेकिन सहवाग ने अपना सौवां वनडे मैच खेल रहे सुरेश रैना (21) के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 59 रन जोड़े. आज सहवाग अपने शैली के विपरीत खेल खेल रहे थे. जहाँ चौके-छक्के के बादशाह सहवाग 100 के स्ट्राइक रेट से खेलते हैं वहीं आज उन्होंने 54 रन पर केवल 34 रन बनाए थे. रैना के आउट होने के बाद कप्तान धोनी ने सहवाग का खूब साथ निभाया. दोनों ने 80 रन की नाबाद साझेदारी की. जैसे-जैसे भारत लक्ष्य के पास पहुंचता गया वैसे-वैसे सहवाग के हाथ भी खुलते गए और देखते ही देखते वह शतक के करीब पहुंच गए.
क्या कहें इसे
जब सहवाग 99 रन पर खेल रहे थे तो भारत को जीतने के लिए मात्र पांच रन चाहिए थे. तब सहवाग के सामने गेंदबाज़ थे सूरज रणदीप. रणदीप की पहली गेंद को श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा भी नहीं रोक पाए और गेंद सीमारेखा से बाहर चली गई और दोनों टीम का स्कोर बराबर हो गया. इसके बाद जो हुआ शायद हम उसे अनैतिकता नहीं कहें तो क्या कहें. सूरज रणदीप की गेंद पर सहवाग ने चौका तो मारा परन्तु गेंद नो बॉल हो गई और भारत छह विकेट से जीत गया. इस घटना को देख साफ़-साफ़ लगता है कि शायद सूरज रणदीप ने जानबूझकर यह नो बॉल डाली थी जिससे सहवाग उनकी गेंद पर अपना शतक ना बना पाएं.
भले ही भारत ने बोनस अंक के साथ यह मैच जीत लिया और टूर्नामेंट में वापसी की, परन्तु क्या ऐसी घटनाएं क्रिकेट के लिए सही हैं.
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