जिस उम्र में खिलाड़ी अपने संन्यास को लेकर चिंतित होते हैं उस उम्र के पड़ाव पर एक खिलाड़ी ऐसा है जिसने उम्र की सारी सीमाओं को तोड़कर आज भी अपने खेल से सबको अचंभित कर रखा है. एक तरफ जहां टेनिस के दिग्गज रोजर फेडरर की अपनी ढलते उम्र की वजह से टेनिस पर पकड़ ढीली होती जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ भारतीय खिलाड़ी लिएंडर पेस 40 साल के होने के बावजूद भी अपनी चमक बिखेरते रहे हैं.
पेस ने जीता 14वां ग्रैंड स्लैम खिताब
भारत के लिएंडर पेस और चेक गणराज्य के उनके जो़डीदार राडेक स्टेपनेक ने यूएस ओपन का डबल्स चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया है. रविवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में दोनों जोड़ियों ने मिलकर दूसरी वरीयता प्राप्त आस्ट्रेलिया-ब्राजील के एलेक्डर पेया और ब्रूनो सोएर्स की जोडी को 6-1, 6-3 से हराया. 40 वर्षीय पेस ने तीसरी बार डबल्स में यूएस ओपन का खिताब जीता है. लिएंडर पेस ने अब तक अपने करियर में आठ डबल्स और छह मिक्सड डबल्स ग्रैंड स्लैम खिताब जीत लिए हैं.
लिएंडर पेस का जीवन
लिएंडर पेस का जन्म कोलकाता में 17 जून, 1973 को हुआ. उनके पिता डाक्टर वेस पेस अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी और प्रसिद्ध चिकित्सक हैं. उनके पिता डॉक्टर वेस म्यूनिख ओलम्पिक गेम्स 1972 के कांस्य पदक विजेता टीम के सदस्य थे. उनकी मां जेनिफर पेस ने 1980 के एशियन बास्केट बॉल चैंपियनशिप में भारतीय बास्केट बॉल टीम की कप्तानी की थी. 1985 में उनके पिता ने उन्हें चेन्नई स्थित ब्रिटानिया अमृतराज टेनिस अकादमी (बैट) में टेनिस सीखने के लिए भेजा. यह उनके जीवन का टर्निंग प्वॉइट साबित हुआ. 1990 में उन्होंने जूनियर विंबलडन का खिताब जीतकर पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और जूनियर रैंकिग में पहला स्थान हासिल किया. यहीं से उनका प्रोफेशनल कॅरियर शुरू हो गया.
लिएंडर पेस की उपलब्धियां और रिकॉर्ड
20 साल से भी अधिक समय टेनिस को दिया
1996 में भारत को अटलांटा ओलंपिक्स में कांस्य पदक दिला चुके लिएंडर पेस की जितनी चर्चा उनके खेल की होती है उससे कहीं ज्यादा इस बात के लिए भी वह विख्यात हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी के आधे से भी ज्यादा समय टेनिस खेल को दिया. अपनी शानदार फिटनेस के जरिए पेस ने 20 साल से भी अधिक समय टेनिस को दिया. इस दौरान उन्होंने न केवल कई उपब्लधियां हासिल की बल्कि भारत में टेनिस के भविष्य को भी नई ऊंचाई प्रदान की.
भारत का यह खिलाड़ी न केवल उम्र बल्कि हर तरह के विवादों को मात देते हुए आगे बढ़ा है. टेनिस अद्भुत फिटनेस, ताकत और धैर्य का खेल है. इसमें खिलाड़ी को उसके सख्त अनुशासन की वजह से ही कामयाबी मिलती है. लिएंडर पेस ने अपने कॅरियर में इस बात का बहुत ज्यादा ध्यान दिया. यह उनका अनुशासन ही तो है कि आज भी वह मैदान पर उतरते हैं तो टेनिस के दिग्गज उन्हें हलके में नहीं लेते. यही वजह है कि आज उनके पास ओलंपिक में एक पदक तथा ग्रैंड स्लैम के डबल्स में आठ और मिक्स्ड डबल्स में छह खिताब हैं जो किसी भी खिलाड़ी के लिए एक सपने जैसा है.
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