लियोनेल मेसी दुनिया के ऐसे फुटबॉलर जो इस दौर के सबसे बड़े खिलाडी मानें जाते हैं। हालांकि आज तक उनका विश्व कप जितने का सपना पूरा न हो सका है। मेसी ने गरीबी में अपनी जिंदगी बिताई है, लेकिन अपने दम पर आज वो दुनिया के सबसे अमीर खिलाड़ियों में अपना स्थान रखते हैं। एसे शिखरों को छूने वाले लियोनेल मेसी ने डेढ दशक के सुनहरे कैरियर में क्लब के लिए कामयाबियों के नए कीर्तिमान बनाए लेकिन अर्जेंटीना के लिए फीफा विश्व कप नहीं जीत पाना अब तक उनके लिए सबसे बुरा रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं कैसा रहा है मेसी का सफर।
बौनेपन के शिकार थे मेसी
24 जून को अर्जेंटीना के रोसारियो में लियोनेल मेसी का जन्म हुआ, उनके पिता कारखाने में काम करते थे और मां क्लीनर थी लेकिन फुटबाल में अपनी प्रतिभा की बानगी मेसी ने बचपन में ही दे दी थी। बचपन में मेसी बौनेपन के शिकार थे और हालत इतनी गंभीर थी कि चिकित्सा की जरूरत थी। इलाज महंगा था तो उनके स्थानीय क्लब ने हाथ खींच लिए लेकिन बार्सीलोना मदद के लिए आगे आया। सितंबर 2000 में 13 बरस का मेसी अपने पिता के साथ ट्रायल देने आए तो उनके नाटे कद का मजाक सभी खिलाड़ियों ने उड़ाया।
नहीं छोड़ा बार्सिलोना का दामन कभी मेसी ने
ट्रायल के दौरान दस मिनट का खेल देखने के बाद ही बार्सीलोना ने मेसी के साथ करार का फैसला कर लिया, उसके बाद से मेसी इसी क्लब के साथ है। हालांकि उनके दूसरे क्लबों के साथ जुड़ने की अटकलें लगी लेकिन मेसी ने बार्सीलोना का दामन नहीं छोड़ा और सफलता की सुनहरी दास्तान लिख डाली। करार से मिले पैसों से मेसी का इलाज हुआ और कामयाब रहा।
दुनिया के बेहतरीन फुटबॉलर से होने लगी तुलना
क्लब के लिए मिलती सफलताओं के साथ मेसी की लोकप्रियता दुनिया भर में बढ़ी और लोग उन्हें माराडोना के समकक्ष या कुछ तो उनसे बेहतर मानने लगे। माराडोना के पास हालांकि विश्व कप था जो आखिरी बार 1986 में अर्जेंटीना ने माराडोना के दम पर ही जीता था।
नहीं जित पाए विश्व कप
मेसी ने 2006, 2010 और 2014 विश्व कप में खराब प्रदर्शन नहीं किया लेकिन उनके अपने बनाए मानदंड इतने ऊंचे थे कि तुलना लाजमी थी। 2006 में 18 बरस का मेसी ज्यादातर बेंच पर ही रहे जबकि चार साल बाद वे कोई गोल नहीं कर सके, दोनों बार जर्मनी ने क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना को हराया।
ये विश्व कप है मेसी की आखिरी उम्मीद
रिकार्ड पांच बार फीफा के सर्वश्रेष्ठ फुटबालर, रिकार्ड पांच बार यूरोपीय गोल्डन शू, बार्सीलोना के साथ नौ ला लिगा खिताब, चार युएफा चैम्पियंस लीग और छह कोपा डेल रे खिताब जीत चुके इस करिश्माई प्लेमेकर के नाम देश और क्लब के लिए कुल 600 गोल दर्ज है। अर्जेंटीना अगर विश्व कप नहीं जीतता है तो भी इससे मेसी की काबिलियत पर ऊंगली नहीं उठाई जा सकेगी लेकिन अगर 1978 और 1986 के बाद टीम फुटबाल का यह सर्वोपरि खिताब जीतने में कामयाब रहती है तो एक चैम्पियन को वैसी विदाई मिलेगी जिसके वे हकदार है।…Next
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