यह वही भूत है जिसनें भूतपूर्व दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट कप्तान हैंसी क्रोनिए के क्रिकेट सफ़र को बीच में ही समाप्त कर दिया. अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को आजीवन प्रतिबंध झेलना पड़ा, हर्शेल गिब्स इसके चलते भारत आने में हमेशा संकोच दिखाते हैं. भारत के मिलेनियम क्रिकेटर कपिल देव के दामन पर भी इसके छींटे पड़े और पाकिस्तानी क्रिकेटर तो इसके चंगुल में बार-बार फंसते रहे. लेकिन इस बार ऐसा प्रतीत होता है कि यह भूत ड्राक्युला है जिसको भगाना बहुत मुश्किल है.
कुछ समय से शांत रहने के बाद एक बार फिर मैच फिक्सिंग का भूत वापस आ गया है, सबसे पहले इस भूत ने पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद आसिफ को अपने कब्जे में किया. वह तो भला हो वीना मलिक को यह बात पता चल गई, नहीं तो यह भूत पूरी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का खून चूस लेता. पाकिस्तान के विकेटकीपर जुल्करनैन हैदर ने क्रिकेट को बचाने के लिए आगे आने की कोशिश भी की लेकिन बात इतनी बढ़ गई कि उन्हें क्रिकेट से तौबा करना पड़ा. “आए थे बचाने लेकिन खुद को बचाने लगे.”
इस पूरी घटना से जो बात उभर कर आती है वह यह है कि क्या मैच फिक्सर क्रिकेट से बड़े हो गए हैं? क्या उनकी हैसियत इतनी बड़ी हो गई है कि वह अब वह क्रिकेटरों को जान से मारने की धमकी देने लगे हैं? क्या पैसे का प्रेम क्रिकेट प्रेम से बड़ा हो गया है? और क्या हैदर जैसे खिलाड़ियों का प्रयत्न व्यर्थ हो जाएगा? हैदर ने तो बस दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज का चौथा मैच फिक्स करने से इनकार किया था.
”आगे था मैं खड़ा, पर पीछे ना था कोई,
साथ तो बहुत से मांगा पर मिला ना कोई,
हम तो थे आए अपने प्रेम का वजूद बचाने,
लेकिन अब तो अपना वजूद भी बचा ना सके”
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का कहना है कि हैदर के इस तरह टीम को छोड़कर जाने से भी वह भी परेशान है और उसका यह भी मानना है कि पाकिस्तान के इस विकेटकीपर को सट्टेबाजी का संचालन करने वाले अपराधियों ने निशाना बनाया है. लेकिन कोई जाकर आईसीसी को बताए कि सिर्फ परेशान होने से कुछ नहीं होगा. परेशान तो वह करीबन दो दशक से हैं लेकिन अभी तक इस परेशानी का वह इलाज नहीं ढूंढ़ पाए.
पाकिस्तानी क्रिकेटरों की राह नहीं आसान
लगता है कि मैच फिक्सिंग और पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का चोली दामन का साथ है. तभी तो हमेशा से कोई ना कोई पाकिस्तानी क्रिकेटर मैच फिक्सिंग स्कैंडल में फंसता रहा है. लेकिन क्या पूर्णतया यही सही है? शायद हैदर प्रकरण इसका सही जवाब देता है. पाकिस्तान क्रिकेटरों की व्यथा यह है कि ना चाहते हुए भी वह फिक्सिंग के दलदल में फंस जाते हैं क्योंकि सभी को अपनी जान प्यारी है.
क्रिकेट! ए जेंटलमैन गेम
क्रिकेट को हमेशा से जेंटलमैन गेम कहा जाता है. लेकिन मैच फिक्सिंग के इस भूत ने क्रिकेट की साख पर जो दाग छोड़ा है उसको मिटाना बहुत कठिन है. चाहे फीफा हो या कोई दूसरा खेल सब खेलों में ऐसे कानून हैं जो खेल को सट्टेबाजों से बचाते हैं, अगर ऐसा दूसरे खेलों में हो सकता है तो क्रिकेट में क्यों नहीं. हम वाडा (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एसोसिएशन) की बात करते हैं तो अब क्यों ना “वर्ल्ड एंटी मैच फिक्सिंग कानून की बात करें.”
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