7 अगस्त 2010 कोलंबो का प्रेमदासा स्टेडियम. भारत ने श्रीलंका को पांच विकेट से हराकर दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला बराबर की. भारत की इस जीत में सबसे बड़ा हाथ था लक्ष्मण का. 268 रनों का पीछा कर रही भारतीय टीम ने 62 रन पर चार विकेट खो दिए थे परन्तु लक्ष्मण के नाबाद शतक की बदौलत भारत ने श्रीलंका को हराया.
एक वह दिन था और एक मोहाली टेस्ट का अंतिम दिन था. दोनों दिनों में बहुत सी समानता थी. पहली, भारत 200 से ज़्यादा के स्कोर का पीछा कर रहा था और दूसरे, भारत ने ज़ल्दी-ज़ल्दी विकेट गवा दिए थे, तीसरी समानता यह थी कि दोनों दिन लक्ष्मण पीठ की चोट के दर्द से जूझ रहे थे और चौथी सबसे बड़ी समानता यह थी कि दोनों दिन लक्ष्मण भारतीय जीत के सूत्रधार बने.
वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण
भारत के वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण के बारे में यह कहावत है कि अगर उन्हें बिस्तर से उठाकर ऑस्ट्रलिया के खिलाफ़ बल्लेबाज़ी करने को उतार दिया जाए तो तब भी वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ शतक ठोंक सकते हैं.
मोहाली टेस्ट के दूसरे दिन भारत को जीत के लिए 161 रन बनाने थे और उसके चार बल्लेबाज़ पवेलियन लौट गए थे. भारत की जीत और हार के बीच खड़े थे मास्टर बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर. हालांकि अभी धोनी और लक्ष्मण का बल्लेबाज़ी करना बचा था परन्तु पूरे भारत वर्ष की उम्मीद तो लक्ष्मण पर ही टिकी थी.
दिन के पहले सत्र में ही भारत ने चार विकेट खो दिए. सचिन 38 रन बना आउट हो गए और पीठ दर्द से परेशान लक्ष्मण पर जीत दिलाने का पूरा बोझ आ गया. भारत को जीत के लिए अभी भी 92 रन बनाने थे लेकिन उसके पास केवल दो विकेट शेष थे.
उसके बाद बल्लेबाज़ी करने आए बल्लेबाज़ इशांत शर्मा पर लक्ष्मण ने पूरा भरोसा दिखाया और दोनों ने नवें विकेट के 81 रन की अहम साझेदारी की. हालांकि भारत को जब जीत के लिए 11 रन की जरूरत थी तभी इशांत बेन हिल्फेनहास की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए. लेकिन लक्ष्मण और प्रज्ञान ओझा(नाबाद पांच) ने साथ मिलकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी.
वीडियो में देखें मोहाली टेस्ट मैच में भारत की ऐतिहासिक जीत
भले ही राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया ने पदकों के मामले में भारत को पछाड़ रखा हो लेकिन मोहाली टेस्ट में भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक जीत दर्ज़ कर बढ़त बना ली है.
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