Menu
blogid : 312 postid : 1389026

सड़क पर भीख मांगने को मजबूर पैरा-एथलीट, सरकार से नहीं कोई मदद

इंडोनेशिया में हाल ही में समाप्त हुए एशियन गेम्स 2018 में भारतीय खिलाड़ियों का प्रर्दशन बेहतरीन रहा है। भारत ने कई अपने पदक नाम किए हैं। इस दौरान देश को कई नए चेहरे और हीरो मिले जिन्होंने देश का मान बढ़ाया है। हर बार यही होता है कि जब भी कोई खिलाड़ी किसी बड़े खेल में अच्छा प्रर्दशन करता है, तो अक्सर उस राज्य की सरकारें खिलाड़ियों के शानदार खेल के लिए अवार्ड देती है। लेकिन कई बार खिलाड़ियों तक ये रकम नहीं पहुंचती है और ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश में देखने को मिला है, जहां पर एक पदक विजेता भीख मांगने पर मजबूर हो गया है।

Shilpi Singh
Shilpi Singh3 Sep, 2018

 

 

पदक विजेता की खराब है हालत

भारत में आमतौर पर जब भी कोई खिलाड़ी अच्छा प्रर्दशन करता है या फिर भारत के लिए खेलों में पदक लाता है, तो खिलाड़ियों के लिए पुरस्कारों की घोषणा करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा खिलाड़ी सामने आया है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं, लेकिन आज वो बेहद बुरी स्थिति में है और घर का गुजारा करने के लिए वो सड़को पर भीख मांग रहा है।

 

 

2017 के नेशनल गेम्स में जीता था पदक

समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार, मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर में राष्ट्रीय स्तर के पैरा-एथलीट मनमोहन सिंह लोधी ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने पदक जीते, तो उन्हें सरकारी नौकरी और कई अन्य पुरस्कारों का आश्वासन दिया गया। मनमोहन सिंह ने बताया कि वह राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कई बार मिले और उन्हें वादों की याद दिलाई, लेकिन सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। मनमोहन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने मेरे सामने कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। मनमोहन ने बताया कि 2017 के नेशनल गेम्स में 100 मीटर रेस इवेंट के दौरान उन्होंने कई पदक अपने नाम किए थे।

 

 

मध्य प्रदेश सरकार ने सर्वश्रेष्ठ पैरा-ऐथलीट का इनाम दिया था

पैरा-स्प्रिंटर मनमोहन सिंह लोधी नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील के कंदरापुर गांव के रहने वाले हैं। 2009 में हुई एक दुर्घटना में वह अपना एक हाथ गंवा बैठे। लेकिन यह दुर्घटना उनका हौसला नहीं तोड़ पाई। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते। 2017 में अहमदाबाद में लोधी ने 100-200 मीटर स्प्रिंट में सिल्वर मेडल जीता था। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ पैरा-ऐथलीट का इनाम दिया था।

 

 

आर्थिक परेशानी से जूझने के कारण मजबूरी में उठाया कदम

पैरा-धावक मनमोहन का कहना है कि उन्होंने मजबूर होकर सभी पदक अपने गले में लटकाकर, अपनी प्रशिक्षण जर्सी पहने हुए सड़क पर भीख मांगने का फैसला किया है। मनमोहन ने कहा, ‘मैं आर्थिक रूप से कमजोर हूं, मुझे खेलने के लिए और परिवार को चलाने के लिए पैसों की जरूरत है। अगर मुख्यमंत्री मेरी मदद नहीं करते हैं, तो मुझे सड़कों पर भीख मांगकर अपनी आजीविका कमानी ही पड़ेगी’।…Next

 

Read More:

जेवलिन थ्रो के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज बनना चाहते थे कबड्डी खिलाड़ी, जाने खास बातें

ढाई रुपये के लिए ‘द ग्रेट खली’ ने छोड़ा था स्कूल, मजदूरी के मिलते थे 5 रुपए 

सबसे ज्यादा कमाई करने वाली महिला एथलीट्स की लिस्ट में सिंधु की एंट्री, यह खिलाड़ी नम्बर-1 पर काबिज

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh