राष्ट्रमंडल खेलों की चिंता अब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भी सताने लग गई है. माननीय प्रधानमंत्री जी चिंतित हैं कि अगर देरी के चलते कार्य समय पर समाप्त नहीं हुआ तो देश की नाक ना कट जाए. इसके चलते उन्होंने रविवार को नेहरू स्टेडियम का दौरा भी किया और आयोजन की तैयारियों में जुटी एजेंसियों को काम दोगुनी तत्परता से पूरा करने को कहा.
उन्होंने कहा कि इस आयोजन को ले कर देश भर की जनता उम्मीद लगाए बैठी है. लोग चाहते हैं कि यह आयोजन पूरी भव्यता के साथ और बिना किसी अड़चन के पूरा हो. यह उम्मीद तभी पूरी हो सकती है जब बचा हुआ काम तेजी से पूरा कर लिया जाए.
प्रधानमंत्री की चिंता इसलिए भी जायज है क्योंकि खेल के आयोजन से जुड़े अधिकांश स्थलों की तैयारी अब तक अधूरी है. स्टेडियम तो कुछ हद तक पूरे हो गए हैं लेकिन खेल और संचार उपकरणों को जगह-जगह पर लगाने के लिए केबल और तार बिछाने का काम अभी भी बहुत पीछे है और यह कार्य ही बाद में सिरदर्द बनता है.
मल्होत्रा जी को चाहिए वाका-वाका
पिछले हफ्ते राष्ट्रमंडल खेलों का गीत ‘ओ यारो, ये इंडिया बुला लिया’ लांच किया गया. इस गीत को ऑस्कर विजेता ए.आर रहमान ने कम्पोस किया है. परन्तु राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के कार्यकारी मंडल के सदस्य विजय कुमार मल्होत्रा को खेलों के लिए ए.आर. रहमान द्वारा तैयार किया गया थीम सांग पसंद नहीं आया है. उनको यह उम्मीदों से कमतर लगता है.
ऐसा लगता है मल्होत्रा जी को शकीरा द्वारा फीफा विश्व कप दक्षिण अफ्रीका 2010 के लिए गाया गया गाना वाका-वाका ज़्यादा पसंद है.
गिल का प्रेमजी को तगड़ा ज़वाब
लगता है आईटी कंपनी विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी को राष्ट्रमंडल खेलों पर भारी भरकम धनराशि खर्च करने को लेकर सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाना बहुत महंगा पड़ रहा है.
आज खेल मंत्री एमएस गिल ने अजीम प्रेमजी के सवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि आलोचना करने से पहले ‘औद्योगिक घरानों को देखना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं.’ ‘अब समय आ गया है जब देश के बड़े औद्योगिक घरानों को खेलों के विकास के लिए अपना पूरा सहयोग देने के लिए आगे आना चाहिए.’
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