जिस समय महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की टेस्ट क्रिकेट से विदाई को लेकर चर्चा चल रही थी उसी समय एक और महान क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने सचिन के साथ मिलकर अपने आखिरी प्रारूप आईपीएल क्रिकेट संन्यास ले लिया था. उस दौरान भारतीय मीडिया और बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) ने उतनी उत्सुकता नहीं दिखाई जितनी सचिन के टेस्ट संन्यास के समय दिखाई.
माना कि सचिन ना केवल भारत के बल्कि विश्व के अद्धितीय बल्लेबाज हैं. उन्होंने लगभग 25 सालों तक भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम राहुल द्रविड़ के योगदान को भूल जाएं. राहुल द्रविड़ ने अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कॅरियर सचिन के मुकाबले छह साल बाद शुरू किया था. इस नाते सचिन द्रविड़ के सीनियर खिलाड़ी थे लेकिन कभी भी ऐसा नहीं लगा कि द्रविड़ सचिन से अलग हैं. अगर हम सचिन के रिकॉर्ड को छोड़ दें तो द्रविड़ कहीं न कहीं सचिन के समकक्ष दिखाई देते हैं. चाहे वह समर्पण की बात हो या फिर बैटिंग स्टाइल और दूसरे खिलाड़ियों के साथ व्यवहार की.
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सचिन की जिस सादगी की बात मीडिया करती है उस राह पर तो राहुल द्रविड़ भी अपने पूरे कॅरियर के दौरान चलते आए हैं. उनका न तो किसी क्रिकेटर के साथ विवाद हुआ है और न ही उन्होंने ऐसा कोई काम किया है जिससे उनके प्रशंसकों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी हो.
इस लेख में यह लग रहा होगा कि द्रविड़ की तुलना सचिन से की जा रही है जो की सही नहीं है, लेकिन यहां सवाल तुलना का नहीं बल्कि क्रिकेट सम्मान का है. पिछले साल नवंबर में सचिन ने जैसे ही टेस्ट क्रिकेट से अलविदा लेने की घोषणा की, बीसीसीआई ने उनके सम्मान में वेस्टइंडीज के साथ दो मैचों की सीरीज का आयोजन किया. उनके कहने पर मुंबई के वानखेड़े मैदान पर उनके अंतिम टेस्ट मैच का आयोजन किया. इस दौरान मीडिया भी सचिन की खबर दिखाने के लिए काफी सक्रिय दिखी. यहां बात केवल मीडिया और बीसीसीआई की नहीं है, सरकार ने भी संन्यास के भावनाओं में बहकर सचिन के लिए भारत रत्न देने की घोषणा कर दी. वहां पर कहीं न कहीं दूसरे भारतीय क्रिकेट दिग्गज जिसमें राहुल द्रविड़ के अलावा सौरभ गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और अनिल कुम्बले हैं, खुद को असम्मानित महसूस कर रहे होंगे.
2012 में जब राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे को अलविदा कहा था उस दौरान यह चर्चा उठी कि बीसीसीआई ने द्रविड़ का नाम ‘राजीव गांधी खेलरत्न’ पुरस्कार के लिए भेजने का फैसला किया है, जो खेल का सबसे बड़ा पुरस्कार है. लेकिन सरकार ने उन्हें इस काबिल भी नहीं माना कि वह इस पुरस्कार के हकदार हैं. हालांकि उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.
खैर राहुल द्रविड़ जैसे किक्रेटर को किसी सम्मान की जरूरत नहीं होती. उनके लिए तो सबसे बड़ा सम्मान उनका क्रिकेटिंग स्टाइल, रिकॉर्ड और जनता का प्यार है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता.
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