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अजीब संयोग: द्रविड़ की वनडे में वापसी और संन्यास की घोषणा


एक खिलाड़ी जिसके नाम वनडे में 10,000 से भी ज्यादा रन हो उसे दो साल तक वनडे टीम से  बाहर रखा जाए और तो और जब देश के धरती पर ही विश्व कप हो तब भे उसे नजरअंदाज किया जाए और फिर दो साल बाद अचानक उसे वनडे टीम में जगह दी जाए तो उसे आप क्या कहेंगे. उस खिलाड़ी की हालत एक खिलौने की तरह होती है जिससे जब मन किया खेल लिया और जब मन किया रख दिया. आज ऐसी ही हालत भारतीय क्रिकेट टीम की दिवार राहुल द्रविड़ की है.


Indian batsman Rahul Dravidकभी टीम के संकटमोचन की भुमिका निभाने वाले द्रविड़ को वनडे मैचों से यह कहकर बाहर कर दिया गया था कि अब युवाओं का दौर है. वनडे कॅरियर में 339 मैचों में 39.73 की औसत से 10,765 रन बना चुके खिलाड़ी को धीमा करार कर टीम से पूरे दो साल के लिए बाहर बिठाया गया और फिर जब इंग्लैण्ड की उछाल और स्विंग पिचों पर कोई बल्लेबाज नहीं चल पा रहे और आधी टीम चोटिल है तब टीम के इस अनुभवी बल्लेबाज को याद करना उसका सम्मान है या बेइज्जती यह तो सिर्फ बीसीसीआई ही बता सकती है.


Rahul Dravidआंकडों के अनुसार द्रविड़ ने 339 वनडे मैचों में 12 शतकों और 82 अर्धशतकों की मदद से 39.43 के औसत से 10 हजार 765 रन बनाए हैं. उन्होंने एक भी टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है. वह हाल में ही 12 हजार 576 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बन गए. साथ ही उन्होंने 34 शतक लगाकर शतकों के मामले में सुनील गावस्कर की बराबरी की. इसके साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक शतक लगाने के मामले में सुनील गावस्कर के साथ संयुक्त रूप से दूसरे भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं. अक्सर भारतीय बल्लेबाजों पर यह आरोप लगता है कि वह भारतीय पिचों पर ज्यादा सफल होते हैं लेकिन द्रविड़ एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने घरेलू पिचों से ज्यादा विदेशी पिचों पर रन बरसाए हैं. वनडे मैचों में उनकी सफलता की कहानी सिर्फ यहीं तक नहीं थमी है. वनडे मैचों में भी द्रविड़ को साझेदारियां बनाने और मैच जिताने के लिए याद किया जाता है.


युवी और भज्जी चोटिल होने के कारण टीम से बाहर हैं ऐसे में इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों में द्रविड़ के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए चयनकर्ताओं ने इस खिलाड़ी को वनडे और टी-20 सीरीज के लिए टीम में शामिल किया है. जहीर के अनफिट होने का पूरा फायदा आर.पी. सिंह को मिला है जिन्हें एक लंबे समय बाद टीम में जगह मिली है.


Rahul Dravidद्रविड़ ने अपना अंतिम वनडे मैच चैंपियंस ट्राफी में 30 सितंबर, 2009 को जोहांसबर्ग में वेस्टइंडीज में खेला था. इस मैच में द्रविड़ महज चार रन ही बना सके थे लेकिन टीम को मैच में जीत मिली थी. हालांकि दो साल बाद वनडे टीम में चयन के कुछ ही समय बाद द्रविड़ ने संन्यास की घोषणा कर अपने गुस्से और रोष को जाहिर कर ही दिया. द्रविड़ एक बेहतरीन रिटायरमेंट के हकदार हैं लेकिन इस तरह से नहीं कि दो साल बाद उन्हें टीम में लिया जाए. ऐसा ही कुछ पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली के साथ भी हुआ था. यह सब करके धोनी अनुभवी क्रिकेटरों को टीम से बाहर और नए खिलाड़ियों को टीम में जगह दिलाने पर तुले हैं लेकिन वह भूल गए हैं कि वह खुद भी खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब खराब फॉर्म की वजह से उनके चयन पर भी सवाल खड़े हो.


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