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अब वनडे में नहीं दिखेगी दीवार

भारत और इंग्लैण्ड के बीच खत्म हुई वनडे सीरीज के साथ ही वनडे से भारतीय दीवार ने भी अलविदा कह दिया. कभी वनडे मैचों में भारतीय टीम के लिए संकट मोचक की भूमिका निभाने वाले राहुल द्रविड़ ने सोफिया गार्डेंस मैदान में अपना आखिरी वनडे मैच खेला. नंबर तीन पर भारत के लिए लंबे समय तक बल्लेबाजी करने वाले द्रविड़ अपने कॅरियर में कभी भी सचिन और सौरभ जैसे बल्लेबाजों के साए से निकल नहीं सके. यह एक इत्तेफाक ही था कि द्रविड़ उस टीम का हिस्सा रहे हैं जिसमें सचिन, सौरभ और लक्ष्मण सरीखे बल्लेबाज थे.


मीडिया से दूर और शर्मीले किस्म के द्रविड़ ने अपने कॅरियर में वह कामयाबी पाई जहां तक पहुंचना बाकी खिलाड़ियों के लिए एक सपना होता है. बेशक उनका नाम वनडे क्रिकेट के आक्रामक बल्लेबाजों में नहीं होता हो, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और प्रतिकूल परिस्थितियों में अच्छे प्रदर्शन की क्षमता ने उन्हें सही मायने में भारतीय टीम का संकटमोचक बनाया. द्रविड ने वह सब किया जिसकी टीम को जरूरत थी. जब कीपर की जरूरत पड़ी तो विकेट के पीछे खड़े हो गए, समय आने पर पारी की शुरूआत की और कभी नंबर सात और आठ पर आकर टीम को सहारा दिया. द्रविड़ की उपयोगिता किसी भी मायने में कम नहीं आंकी जा सकती है. वह एक ऐसे सितारे रहे जिसने बिना शोर किए अपना काम किया.


Last inning of Dravid* अंतिम वनडे व खूब बजी ताली: द्रविड़ जब अपना आखिरी वनडे खेलने के लिए मैदान पर उतरे तो सोफिया गार्डेंस स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में उपस्थित दर्शकों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया. द्रविड़ के हर शाट पर खूब तालियां बजीं. वह वनडे में सर्वाधिक अर्ध शतक जड़ने वाले खिलाडि़यों की सूची में सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गए. द्रविड़ के नाम पर 83 अर्धशतक दर्ज हो गए हैं और अब वह पाक के इंजमाम उल हक के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं. द्रविड़ ने 344 वनडे मैचों में 12 शतक व 83 अर्धशतक के साथ 10,889 रन बनाए. वहीं टेस्ट क्रिकेट में उनके 157 मैचों में 53 की औसत से 12,775 रन हैं.


* 1996 के सिंगर कप से की शुरुआत: श्रीलंका के खिलाफ सिंगापुर में तीन अप्रैल, 1996 को सिंगर कप के दौरान पहले मैच में तीन रन पर आउट होने वाले द्रविड़ ने 15 वर्ष के कॅरियर में 39 की औसत से रन बनाए. विकेट कीपिंग के उनके गुण ने टीम को एक अतिरिक्त बल्लेबाज की सहूलियत दी. भारतीय टीम को 2003 के विश्व कप में इसका फायदा मिला, जब सौरव गांगुली की अगुआई में टीम फाइनल तक पहुंची.


Rahul Dravid's Last Innings* 1999 के विश्व कप में मध्यक्रम की बने रीढ़: वनडे क्रिकेट के अनुकूल नहीं माने जाने वाले द्रविड़ विश्व कप 1999 में मध्यक्रम की रीढ़ साबित हुए, जिसमें उन्होंने सर्वाधिक 461 रन बनाए. इस दौरान वह विश्व कप में लगातार दो शतक जमाने वाले पहले भारतीय बने. केन्या के खिलाफ ब्रिस्टल में उन्होंने नाबाद 104 और श्रीलंका के खिलाफ टांटन में 145 रन बनाए.


* अपवाद रही धीमी स्ट्राइक रेट: अक्सर धीमी स्ट्राइक रेट के लिए आलोचना झेलने वाले द्रविड़ ने हैदराबाद में 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 गेंद में अर्ध शतक बनाया, जो वनडे क्रिकेट में किसी भारतीय का दूसरा सबसे तेज अर्ध शतक है. वनडे क्रिकेट में उनसे अधिक अर्ध शतक सिर्फ तेंदुलकर (95) ने बनाए हैं. वे पाकिस्तानी पूर्व बल्लेबाज इंजमाम उल हक (83) के साथ दूसरे स्थान पर हैं. उनके नाम 12 शतक भी दर्ज हैं.


* विवादों में घिरी कप्तानी: द्रविड़ के कॅरियर में कप्तानी का दौर बेहद निराशाजनक रहा. कप्तान बनने के उनके फैसले ने उनके कॅरियर को पूरी तरह चौपट कर दिया. वर्ष 2005 में सौरव गांगुली की जगह द्रविड़ कप्तान बने.


उनकी कप्तानी में भारत ने लगातार 16 मैचों में लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत भी दर्ज की, लेकिन 2007 के विश्व कप से पहले ही दौर में बाहर हो गई. इसके साथ उन पर आरोप लगा कि उन्होंने चैपल को मनमानी करने दी. द्रविड़ ने इसके बाद कप्तानी छोड़ दी थी.


वनडे में चाहे द्रविड़ का जादू ना दिखे पर टेस्ट मैचों में द्रविड़ का जादू चलता रहेगा.

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