442 मैच 17598 रन 46 शतक और 93 अर्द्धशतक यह रिकार्ड है एकदिवसीय क्रिकेट के सबसे महानतम बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर का जिसको छूना बच्चो का खेल नहीं और मौजूदा दौर में ऐसा कोई भी बल्लेबाज़ नहीं जो मास्टर ब्लास्टर के पास भी फटक सके.
सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड को देखकर कोई भी उनकी महानता का गुणगान अपने आप करने लगेगा. परन्तु लिटिल चैम्पियन के इन रिकार्डो को देख एक प्रश्न उजागर होता है कि बीस साल के करियर में सचिन तेंदुलकर का सबसे अच्छा समय कौन सा था?
अगर हम तेंदुलकर के एकदिवसीय करियर का आकलन करे तो पता चलता है कि सचिन तेंदुलकर के एकदिवसीय करियर को हम छः चरणों में बाट सकते है.
पहला चरण – (दिसम्बर 1989 – मार्च 1994)
18 दिसम्बर 1989 को गुजरांवाला पाकिस्तान में सचिन तेंदुलकर ने अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की और तब से लेकर 1994 तकके दौर को हम अनिश्चितता का दौर कह सकते है. इस दौर में उन्होंने कुल मिलाकर 66 पारियाँ खेली जिसमे उन्होंने केवल 12 अर्द्धशतक लगाए और गौर करने वाली बात यह कि इस दौर में उन्होंने एक भी शतक नहीं लगाया. इस दौर में उनके रनों का औसत 30.8 का था और स्ट्राइक रेट केवल 74.4 का. शायद इस दौर में वह खराब टीम प्रबंधन का शिकार हुए क्योंकि सभी जानते थे कि उनके पास प्रतिभा की कमी नहीं है परन्तु फिर भी उनकी यह प्रतिभा उभर के सामने नहीं आ रही थी.
दूसरा चरण (मार्च 1994 – दिसम्बर 1997)
सचिन तेंदुलकर के इस दौर को हम खोज का दौर भी कह सकते है क्योंकि इस दौर में सचिन तेंदुलकर के एक औसत क्रिकेटर से एक महान क्रिकेटर बनने का सफर शुरू हुआ था और अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक नायाब कोहिनूर की खोज हुई थी. इस सफर की शुरुआत ऑकलैंड न्यूजीलैंड में हुई थी जब एक मैच में नवजोत सिंह सिद्धू को चोट लग गई और उनकी जगह पारी की शुरुआत करने तेंदुलकर को भेजा फिर जो कहानी लिखी गई वह इतिहास बन गई. सचिन ने अपनी इस पारी में 49 गेंद में 82 रन ठोक अपनी मंशा जग जाहिर कर दी. इस दौर में सचिन ने 101 पारियाँ खेली और 12 शतक लगाए. और उनका औसत भी 43.3 का हो गया.
तीसरा चरण (जनवरी 1998 – दिसम्बर 1999)
यह दौर सचिन के करियर का सबसे विस्फोटक दौर था. तेंदुलकर की बल्लेबाज़ी में आक्रमकता देखते बनती थी. केवल 24 महीनों में सचिन ने 2805 गेंदों में 2737 रन ठोक दिए. उस समय लगभग 100 के स्ट्राइक रेट से खेलना बल्लेबाजों की पहुच से परे माना जाता था. इस दौरान उन्होंने अपनी 55 पारियों में 55.9 के औसत से रन बनाये और 12 शतक लगाए जिसमें शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ खेली वह दो पारियां भी शामिल है जिसमें उन्होंने दो लगातार शतक ठोके और भारत को ख़िताब जिताया.
चौथा चरण (जनवरी 2000 – दिसम्बर 2003)
इस दौर में अगर हम सचिन की संज्ञा मास्टर से करे तो गलत नहीं होगा. यह वही दौर था जब लोग सचिन को मास्टर ब्लास्टर के नाम से जानने लगे. हालाकि इस दौर में वह 1998-99 का करिश्मा नहीं दोहरा पाए परन्तु फिर भी उनका औसत 90 पारियों में 50.8 का था जिसमें 12 शतक भी शामिल थे. इसी दौरान विश्व कप में उन्होंने सर्वाधिक रन भी बनाये और मैन आफ दी सीरीज़ का ख़िताब भी जीता. विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ़ खेली गई 98 रनों की पारी उनकी यादगार पारियों में से एक थी. यह दौर उनके उत्कृष्ट दौर में से एक था लेकिन हम इसे अतिशयोक्ति नहीं कह सकते.
पांचवां चरण (जनवरी 2004 – दिसम्बर 2006)
यह दौर सचिन के सबसे खराब चरणों में था जहाँ वह सिर्फ कोशिश ही करते रहे. कभी टेनिस एल्बो फिर पीठ का दर्द इस दौर में वह अपनी चोटों से ही जूझते रहे. उनकी इन चोटों को देख सारा देश कराह रहा था. इस दौरान उन्होंने 53 पारियों में 37.8 के औसत से 1852 रन बनाए और केवल 4 शतक ठोके. उनका स्ट्राइक रेट भी गिर कर 78.4 का हो गया. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल ने तो यह भी कह दिया था कि मास्टर का समय अब समाप्त हो गया है.
छठा चरण (जनवरी 2007 – नवम्बर 2009)
यह दौर सचिन के क्रिकेट करियर का जादुई दौर था. वह कहते है ना महान खिलाड़ी हमेशा वापसी करता है और तेंदुलकर के साथ भी ऐसा हुआ उन्होंने धमाकेदार वापसी की. उनके फॉर्म को हम भले ही हम माउंट एवेरेस्ट नहीं कह सकते थे परन्तु कंचनजंघा तो ज़रूर कह सकते थे. उन्होंने वापसी करते हुए अपनी 60 पारियों में 47.2 के औसत और 87.5 के स्ट्राइक रेट के साथ 2641 रन बनाये और इस बीच उन्होंने पांच शतक भी लगाए. इसी दौरान वह सात बार नब्बे के स्कोर पर भी आउट हुए.
शायद यह उनका सातवां दौर है जिसका लक्ष्य 2011 विश्व कप जीतना है. टेस्ट क्रिकेट हो या एकदिवसीय क्रिकेट सचिन तेंदुलकर वह नाम है जिसे लोग भारत का सुपरमैन कहते हैं. एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक मारने वाला वह पहले बल्लेबाज़ हैं. वर्तमान में सचिन ने भले ही क्रिकेट खेलना कुछ कम कर दिया है परन्तु वह हर तरह के क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.
अंत में हम टीम इंडिया के कप्तान महेंदर सिंह धोनी से बस इतना ही कहना चाहेंगे कि इस महान का सपना पूरा कर दो यह कामना पूरे देश की है.
“सचिन तुझे सलाम”
सचिन तेंदुलकर की ज्योतिषीय विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें.
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