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साइना नेहवाल – आसमां छूने की ख्वाहिश


समय है बदलाव का. आज नारी और पुरुष का अंतर खत्म हो चुका है. नारियों ने अपनी क्षमता को सही दिशा में अग्रसर कर कई बड़ी सफलताएं प्राप्त की है. लेकिन इन सब के बावजूद ऐसा नहीं है कि इन सफल महिलाओं की राह आसान रही हो. भारत जहां महिलाओं को पर्दे में रहने की हिदायत दी जाती है, वहां विपरीत परिस्थियों में भी कई महिलाओं ने समाज को अपने हुनर का कायल बना दिया. आज के इस भाग में हम ऐसी ही एक लडकी की कहानी बता रहे हैं जिसने अपने हुनर से साबित कर दिया कि अगर हौसलों और किस्मत का सहारा मिले तो देश ही क्या दुनियां भी आपकी कायल बन सकती है.

आज का भारत विकासशील भारत है. इसने पुरानी रुढ़ियों को तोड़ना शुरु ही किया है. अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में आगे आने को प्रयासरत हैं. इस विकास की लहर से खेल जगत भी अछूता नहीं. 20 साल की छोटी सी उम्र में हममें से कितने य्ह ख्वाब देखते हैं कि काश उनका नाम देश-विदेश में प्रसिद्ध हो, लेकिन कइयों के सपने पूरे भी होते हैं. साइना नेहवाल वह नाम है जिसने 20 साल की उम्र में विश्व भर में अपने नाम की चर्चा करवा दी.

saina nehwalभारत की बैडमिंटन खिलाड़ी और राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजी जा चुकी सनसनी साइना नेहवाल मौजूदा वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर 2 महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

17 मार्च 1990 को हरियाणा के एक छोटे से गांव हिसार में जन्मीं सायना ने 8 साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थाम लिया था. उनके माता पिता दोनों ही बैडमिंटन खि‍लाड़ी थे. पि‍ता हरवीर सिंह ने बेटी की रुचि‍ को देखते हुए उसे पूरा सहयोग और प्रोत्सा हन दि‍या. छोटी-सी सानिया ने शुरुआती प्रशि‍क्षण हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडि‍यम में कोच नानी प्रसाद से प्राप्त कि‍या. आठ साल की उम्र से ट्रैनिंग लेना और वह भी इस ट्रेनिंग के लिए 50 किमी. का रास्ता तय करना आसान नहीं होता.

original_saina-nehwal_4c41359f41451छोटी उम्र में बडे कमाल

14 साल की उम्र में साइना ने वर्ष 2004 में नेशनल जूनियर चैम्पियनशिप जीत ली थी. और वर्ष 2005 में फिर इस खिताब को हासिल कर दिखा दिया था कि आने वाला समय उनका ही होगा.

और इसके साथ ही अगले ही साल 2006 और 2007 में उन्होंने नेशनल सीनियर चैम्पियनशीप भी जीती. 2005 में उन्होंने और भी कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं.

अंतरराष्ट्रीय उड़ान

साइना की किस्मत अपने रंग बिखेर रही थी. किस्मत की धनी साइना को अंतरराष्ट्रीय प्रदार्पण के लिए भी ज्यादा इंतजार नही करना पड़ा. इंडिया स्टेलाइट टूर्नामेंट में उन्होंने वर्ष 2003 में हिस्सा लिया और अंतिम 16 में जगह बनाई. इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा ही नहीं.

3आगे का सफर

आगे का सफर तो आप सभी जानते ही हैं. उन्होंने 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतते हुए सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया, यह उपलब्धि उनसे पहले किसी अन्य भारतीय महिला को हासिल नहीं हुई. इसके बाद इस वर्ष तो जैसे वह अपने शीर्ष पर हैं. ऑल इंग्लैंड सीरीज के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं तो वहीं इंडोनेशियन ओपन जीतकर वह दुनियां की नंबर दो खिलाड़ी बनीं.

1खेल ने दी पहचान तो फैशन जगत भी हुआ गुलाम

कहते हैं जो दिखता है वह बिकता है. विज्ञापन जगत तो इस बात को खुलेआम स्वीकारता है. साइना का खूबसूरत चेहरा और उनकी लोकप्रियता का ही असर है कि आज देश ही नहीं विदेशों की भी जानीमानी कंपनियां उन्हें अपना ब्रांड अम्बेसडर बनाने को लाइन में खडे हैं. लेकिन साइना ने अभी तक किसी को भी सार्वजनिक तौर पर कबूला नहीं है.

यह तो हुई कहानी कि किस तरह साइना का कॅरियर आगे बढ़ा. आपको लगेगा कि इसमें कुछ खास क्या है, बस किस्मत का ही तो खेल है. हां, माना कि किस्मत का साथ रहा लेकिन मुसीबतें भी कम नहीं थीं. हरियाणा के गांव में जन्मी साइना के लिए भी मुसीबतें थी. छोटी सी उम्र में खेल सीखने के लिए दूर-दूर जाना और फिर हरियाणा जैसे राज्य में खुद को साबित करना.

कहते हैं अगर परिवार साथ हो तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है यहां भी वही हुआ. माता-पिता ने साइना को प्रोत्साहन दिया और उन्होंने भी दुनिया भर की खुशियां उनके दामन में भर दीं.

This Hindi entertainment blog is about to Rajiv Gandhi Khel Ratna award winner Saina Nehwal, is an Indian badminton player currently ranked number 2 in the world by Badminton World Federation. Saina Nehwal is the first Indian woman to reach the singles quarterfinals at the Olympics and the first Indian to win the World Junior Badminton Championships. Saina Nehwal is most significant example of women empowerment in India.

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