एक था क्रिकेट जगत का दादा सौरव चंडीदास गांगुली जिसे कभी टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ सेनापति का दर्जा प्राप्त था. आज धोनी के नेतृत्व वाली टीम इंडिया विश्व की नंबर एक टीम है. क्या देश क्या विदेश भारतीय क्रिकेट टीम को जीतने की आदत लग गयी. आज धोनी मेवा चख रहे हैं वह मेवा जिसे पैदा करने में उनसे बड़ा हाथ एक ऐसे इंसान का है जिसने टीम के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. क्या लॉर्ड्स क्या ईडन गार्डन जहां जीते वहाँ उसने दिल खोल के खुशी मनाई. अगर टीम हारती तो उससे ज़्यादा कोई दुखी नहीं होता. कोलकाता में तो लोग उसे भगवान मानते हैं और कुछ लोग उसे सचिन से बड़ा खिलाड़ी मानते हैं. लेकिन आज हम उसे भूल गए हैं. भूल गए हैं हम एक ऐसे बादशाह को जिसका धर्म क्रिकेट है.
कुछ दिनों पूर्व बैंगलोर में आईपीएल 4 के लिए खिलाड़ियों की नीलामी हुई. 11 करोड़ के गौतम गंभीर से लेकर 7 करोड़ के उमेश यादव तक. सभी फ्रेंचाइज़ियों ने युवा खिलाड़ियों पर बहुत सारा पैसा फेंका. केवल युवा ही नहीं बल्कि कुछ पुराने घोड़ों पर भी दाम लगाया गया. लेकिन इन सब के बीच हताश होता दिखा क्रिकेट. टीमों ने अरबों रुपए खर्च किया लेकिन किसी ने सौरभ गांगुली को नहीं खरीदा. भूल गए लोग दादा को, भूल गए वह दिन जब वह था राजा.
प्रश्न है कि ऐसा हुआ क्यों? शायद इसलिए क्योंकि आजकल खिलाड़ी से बड़ा पैसा हो गया है. फ्रेंचाइज़ियां किसी भी खिलाड़ी पर पैसा ऐसे-वैसे नहीं खर्च करती हैं. वास्तव में वह खिलाड़ियों पर दांव लगाती हैं कि वह उन्हें मैच जिताएं. और आईपीएल मतलब टी20 क्रिकेट जहां सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है युवाओं के दम की ऐसे में क्यों कोई दांव लगाए सौरभ पर जो क्रिकेट के लिहाज से बुड्ढे हो गए हैं. लेकिन वह अकेले ही तो नहीं राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण भी तो बुड्ढे हो गए हैं और आईपीएल में सौरभ का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है. जहां तक पिछले आईपीएल की बात है तो सौरभ ने कोलकाता के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाए थे.
नीलामी खत्म होने के बाद अभी तक दादा के समर्थन में बहुत से लोग आए. क्रिकेट प्रेमियों का दादा के प्रति प्यार देख मन खुश हो गया. लेकिन प्रश्न तो वही है कि क्या सौरभ गांगुली आईपीएल–4 में खेलेंगे? अभी कुछ कहना बहुत कठिन है लेकिन आसार जगे हैं कि शायद सौरभ आईपीएल में खेलें. इस वर्ष आईपीएल में शामिल हुई नई टीम कोच्चि ने सौरभ को खरीदने की बात कही है, इसके लिए वह आईपीएल गवर्निंग कमिटी के पास भी गए हैं. उम्मीद जगी है कि सौरभ शायद खेलेंगे परन्तु सिर्फ उम्मीद के सहारे तो खुशी मनाई नहीं जाती.
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